रोहित कश्यप,मुंगेली. यहां से एक ऐसा मामला निकलकर सामने आया है जिसे जानकर आपको भी एक पल के लिए हैरानी होगी. जैसा की हमें कुछ पल के लिए इसे सुनकर लगा. दरअसल कुछ लोग अपने आप को जीवित यानि जिंदा होने का प्रमाण देने के लिए भटक रहे है. ये सब प्रशासन की अजब-गजब कारनामें की वजह से हो रहा है. प्रशासन ने एक दो नहीं बल्कि दर्जनों जीवित व्यक्ति को मृत करार दिया है. जी हां हम बात कर रहे है मुंगली जिले के पथरिया विकासखण्ड के डांड़गांव की. जहां पंचायत की लापरवाही से 10 से 15 व्यक्तियों को मृत घोषित कर दिया गया है. जिससे पीड़ित व्यक्ति अपने जीवित होने के प्रमाण लेकर दर-दर भटकने को मजबूर है. ऐसे में इनको शासकीय रिकार्ड में मृत बताने की वजह से इन्हें शासन की किसी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. वहीं मामले पर जनपद के सीईओ ने जिला पंचायत को निलंबन करने का प्रस्ताव भेजा है, लेकिन कार्रवाई ठंडे बस्ते में होने की वजह से अधिकारियों के ऊपर प्रश्न चिन्ह लग रहे है.

इस गांव में पंचायत की लापरवाही से 15 जीवित व्यक्तियों को शासकीय रिकार्ड में मृत बता दिया गया. जिससे पीड़ित व्यक्ति अपने जीवित होने का प्रमाण के लिए विभागों के चक्कर काट रहे है. जहाँ लापरवाही का ऐसा आलम की पीएम आवास योजना के तहत पात्र हुए जीवित हितग्राहियों को मृत बताकर अपात्र कर दिया गया. अपने घर में अपनी पत्नी के साथ बैठा यह व्यक्ति नाम गौतम घोषले है जो आम लोगों की तरह चल फिर उठ बैठ, आना जाना कर सकता है. दिखने में जीवित है लेकिन पंचायत ने इसे मृत घोषित कर दिया है. तबसे गौतम घोषले अपने जीवित होने का प्रमाण के लिए विभाग के चक्कर काट रहा है. यहां तक इसने जनदर्शन में भी शिकायत की है, लेकिन अब तक इसका निपटारा नहीं हो सका.

ऐसा नहीं है कि गांव में अकेले गौतम घोषले ही को पंचायत ने मृत बताया बल्कि 1 नहीं पूरे 15 व्यक्तियों को शासकीय रिकार्ड में पंचायत ने मृत घोषित कर दिया है. पीड़ितों को जानकारी तब हुई जब ग्राम पंचायत सभा में सरपंच व सचिव ने यह कह दिया कि पंचायत के कहने में उन्हें मृत किया गया है. जिसके बाद से आज तक पीड़ित व्यक्ति अपने जीवित होने का प्रमाण लेकर विभागों के चक्कर काटने को मजबूर है. मामले की जानकारी लेने जब हम पंचायत के सचिव के पास पहुंचे तब उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत में सभी के कहने से उनसे त्रुटि हो गई है. जिसको सुधारने के लिए शासन स्तर पर भेज दिया गया है.

वहीं मामले की जांच भी पथरिया जनपद के द्वारा कराई गई. जिसमें पंचायत के सचिव को दोषी पाया गया. जिसके बाद जनपद सीईओ जिला पंचायत सीईओ को निलंबन का प्रस्ताव भी भेजा था, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में है. मामले की जानकारी जिला पंचायत सीईओ लोकेश चंद्राकर के पास हम लेकर पहुंचे तो साहब ने त्रुटि होने पर जांच का हवाला देकर पल्ला झाड़ लिया. वहीं निलंबन के प्रस्ताव उनतक नहीं पहुंचने की बात करते हुए बताया इसकी जानकारी जनपद सीईओ से ली जाएगी उसके बाद कार्रवाई की जाएगी.

मामले पर कार्रवाई के नाम पर अधिकारियों की उदासीनता उनके ऊपर प्रश्न चिन्ह लगा रहे है. जिन हितग्राहियों को मृत बताया गया अगर ऐसी लापरवाही नहीं होती तो आज उन्हें पीएम आवास योजना का लाभ मिलता. जिससे उन्हें टूटी फूटी झोपड़ियों में रहने की जरूरत नहीं होती. आज उन्हें जीवित होने का प्रमाण के लिए दर-दर भटकने की जरूरत नहीं होती और उन्हें शासन की योजनाओं से वंचित नहीं होना पड़ता. अब देखना यह होगा कि इस मामले क्या कोई कार्रवाई होती है या फिर यह सिलसिला यूं ही बदस्तूर जारी रहेगा.