बस्तर की हरित धरा खाकीधारियों की खून से फिर लाल हो गई। आतंक के पर्याय बन चुके नक्सलियों ने मौत का तांडव मचाया। कमजोर खुफिया तंत्र के आगे वीर जवान कमजोर पड़ गए। राज्य से लेकर केन्द्र तक सियासी बोल बचन चलते रहे और एक बार फिर हमारे जवान मरते रहें।
आखिर कैसे बुर्कापाल में घटी एक बड़ी घटना ?
तारीख 24 अप्रेल, दिन सोमवार, स्थान बुरकापाल, सुकमा
समय सुबह 6 बजे- घने जंगल में सीआरपीएफ के जवान अपने कैंपों से सर्चिंग के लिए निकले थे। जवान बुरकापाल और चिंतलनार के मध्य थे। सड़क सुरक्षा में लगे करीब 100 जवानों की टुकड़ी चलते-चलते थक चुकी थी।
दोपहर 12 बजे – जवान पेड़ के नीचे थकान मिटाने लगे
दोपहर 12.30 बजे – जवानों की नक्सलियों की मौजूदगी होने का एहसास हुआ
दोपहर 12.45 – जवानों पर नक्सली फायरिंग। जवान संभल पाते कि 15 मिनट के भीतर नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी
दोपहर 1 बजे– अब जवान और नक्सली आमने-सामने थे, जवान नक्सिलयों के ‘एस’ आकार वाले एंबुस में फंस गए। करीब 2 सौ की संख्या में नक्सलियों ने जवानों को घेर लिया। जवानों को ठीक से संभलने का मौका भी नहीं मिला। फिर भी जवानों ने जवाबी फायरिंग की। करीब 3 घंटे (तीन 3 बजकर 30 मिनट तक ) तक मुठभेड़ चलती रही।
शाम 4 बजे- घटना की सूचना सीपीआरपीएफ कैंप चिंतलनार, बुरकापाल, और सुकमा जिला पुलिस मुख्यालय पहुँची। बचाव दल घटना स्थल के लिए रवाना हुई। जब तक सीआरपीएफ और पुलिस के जावन घटना स्थल पहुँचे। 11 जवान शहीद हो चुके थे। 7 जवान घायल पड़े थे। घायल जवानों को तत्काल बुलेटप्रूफ गाड़ी से कैंप भेजा गया। सीआरपीएफ कैंप से हेलीकॉप्टर से 7 जवान रायपुर रिफर किए गए।
शाम 5.30 बजे – घायल जवान रायपुर पहुँचे। इस दौरान एक घायल जवान ने अस्पताल पहुँचने से पहले ही दम तोड़ दिया।
शाम 7 बजे- मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह दिल्ली दौरा बीच में रद्द कर वापस रायपुर पहुँचे।
रात 7.25 – रायपुर में मुख्यमंत्री घायल जवानों को देखने अस्पताल पहुँचे।
रात 8.15 – रायपुर में सीएम हाउस में रमन सिंह ने पुलिस अधिकारियों की आपात बैठक ली।
इस बीच सियासी बयान आते रहें। पीएम लेकर गृहमंत्री और सीएम तक बस एक ही जवाव ये कायरना करतुत है। बड़ी चुनौती है। चुनौती स्वीकार है । शहादत बेकार नहीं जाएगी। सारे बयान पूर्व की तरह ही थे। हर शहादत के बाद सियासत ऐसी नजर आती है। जवान कुर्बान हो जाते हैं और हम सिर्फ शोक मनाते रह जाते हैं।