
सुकमा नक्सल मुठभेड़ अपडेट: छत्तीसगढ़ के कोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र सुकमा के गोगंडा पहाड़ी में आज सुबह से पुलिस-नक्सली मुठभेड़ जारी है. यह मुठभेड़ गोगंडा पहाड़ी के उपमपल्ली इलाके में हुई, जहां डीआरजी और सीआरपीएफ के जवानों ने अब तक 16 माओवादियों के शव बरामद किए हैं. इसके साथ ही सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ स्थल से भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक सामग्री बरामद की है, जिसमें AK-47, SLR, INSAS राइफल, .303 राइफल, रॉकेट लांचर और बीजीएल लांचर शामिल हैं. वहीं 2 जवानों को मामूली चोट भी आई है.

मिली जानकारी के अनुसार, 28 मार्च 2025 को जिला सुकमा के थाना केरलापाल क्षेत्र में माओवादियों की उपस्थिति की सूचना मिलने पर DRG सुकमा और CRPF की संयुक्त पार्टी नक्सल विरोधी अभियान पर रवाना हुई थी. अभियान के दौरान 29 मार्च 2025 को सुबह 8 बजे से माओवादियों और सुरक्षा बलों के बीच लगातार फायरिंग जारी रही. इलाके में सुरक्षा बलों के जवान लगातार सर्चिंग कर रहे हैं. मारे गए माओवादियों की संख्या अभी और भी बढ़ने की संभावना है.
नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई चल रही है, जिसका उद्देश्य 31 मार्च 2026 तक बस्तर से नक्सलवाद का खात्मा करना है. इस अभियान में बस्तर पुलिस, डीआरजी, बस्तर फाइटर, सीआरपीएफ, कोबरा, बीएसएफ, और सामान्य सुरक्षा बल सभी सुरक्षा बलों ने प्रभावी रूप से करवाई कर रहे हैं.
14 महीनों में 333 नक्सली ढेर
भाजपा सरकार बनने के बाद अब तक 63 मुठभेड़ में 333 नक्सलियों को अलग-अलग मुठभेड़ में जवानों ने ढेर कर दिया है. इसमें आज हुई मुठभेड़ के आंकड़े भी शामिल हैं. हालांकि मारे गए नक्सलियों की संख्या अभी और भी बढ़ सकती है.
वहीं नक्सलियों के एनकाउंटर के अलावा कई सेमी ऑटोमेटिक ऑटोमेटिक वेपंस के साथ भारी मात्रा में विस्फोटक सामान भी बरामद किए गए हैं. कई दस्तावेज भी नक्सली संगठन से बरामद हुए हैं, जिनके आधार पर पुलिस को लगातार सफलताएं मिल रही हैं.
बस्तर में नक्सलवाद के खात्मे के बाद, बस्तर की जनता को शांति और सुरक्षा का अनुभव होगा. बस्तर की खूबसूरत पर्यटन स्थलों में पर्यटकों की संख्या भी बढ़ जाएगी. यह बस्तर के विकास और प्रगति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा.
नक्सलवाद के खिलाफ मिली सफलताओं के कारण
नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में सफलता के कई कारण हैं. सबसे पहले, सुरक्षा बलों की प्रभावी कार्रवाई ने नक्सलियों को कमजोर किया है. दूसरा, बस्तर की जनता का सहयोग भी नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. तीसरा, सरकार की ओर से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों को बढ़ावा देने से नक्सलियों के समर्थन में कमी आई है.
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