रायपुर. हिंदू पंचांग के अनुसार कर्क संक्रांति को 6 महीने के उत्तरायण काल का अंत माना जाता है और इसी दिन से दक्षिणायन की शुरुआत होती है, जो मकर संक्रांति तक चलती है. सूर्य का मकर रेखा से उत्तरी कर्क रेखा की ओर जाना उत्तरायण और कर्क रेखा से दक्षिणी मकर रेखा की ओर जाना दक्षिणयान कहलाता है. उत्तरायण में दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं.

आज से सूर्य कर्क राशि में जा रहा है, ऐसे में इस दिन कर्क संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन सूर्य देव के साथ ही अन्य देवता भी निद्रा में चले जाते हैं. सृष्टि का भार भगवान शिवजी संभालेंगे इसीलिए श्रावण मास में शिव पूजन का महत्व बढ़ जाता है. सूर्य के उत्तरायन होने से शुभता में वृद्धि होती है वहीं सूर्य के दक्षिणायन होने से नकारात्मक शक्तियां प्रभावी हो जाती है और देवताओं की शक्ति कमजोर होने लगती है. यही वजह है कि दक्षिणायन से आरंभ कर्क संक्रांति से चातुर्मास आरंभ हो जाता है और शुभ कार्यों की मनाही हो जाती है.

इस वर्ष सूर्य का कर्क राशि में गोचर 16 जुलाई 2022 को समय – रात 10 बजकर 56 मिनट पर. कर्क संक्रांति पुण्य काल – सुबह 05 बजकर 34 मिनट से शाम 05 बजकर 09 मिनट तक. संक्रांति महापुण्य काल – दोपहर 02 बजकर 51 मिनट से शाम 05 बजकर 09 मिनट तक, कर्क संक्रांति के दिन कपड़े, खाद्य सामग्री और तेल दान का बहुत महत्व होता है. इस संक्रांति को मानसून के प्रारंभ के रूप में भी जाना जाता है. लोग सूर्योदय के समय पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और सूर्यदेव से सदा स्वस्थ रहने से कामना करते हैं.

कर्क संक्रांति पूजा

कर्क संक्रांति के दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. इस दिन तुलसी के पत्र से भगवान विष्णु की पूजा करना श्रेष्ठ फलदायी माना गया है. इस दिन सूर्य देव को जल अर्पित करें और दान आदि के कार्य करें. ऐसा करने से जीवन में आने वाली कठिनाइयां दूर होती हैं और सुख समृद्धि में वृद्धि होती है. भगवान शिव, विष्णु और सूर्यदेव के पूजन का खास महत्व होता है. विष्णु सहस्त्रनाम का जाप किया जाता है. दान, पूजन और पुण्य कर्म आरंभ हो जाते हैं.