रायपुर. जीवन में कई छोटी-बड़ी घटनाएं या बातें अपमान का कारण बन जाती हैं. वहीं धैर्य अथवा सहिष्णुता की कमी भी अपमान का कारण बनता है. कोई व्यक्ति के कार्य ठीक से ना करना या काम की गुणवत्ता में कमी या समय-सीमा में ना कर पाना भी जीवन में अपमान दिला सकता है.

पढ़ाई के समय में ठीक से पढ़ाई ना कर पाने के कारण योग्यता के अनुरूप सफलता ना मिलने से जो कार्यक्षेत्र चुनते हैं वहं स्वयं को अपमानित महसूस करते हैं. उसी प्रकार कार्य में लापरवाही या कम एकाग्रता से किए गए कार्य में गुणवत्ता की कमी के कारण अपमानित होना पड़ता है. चाहें कारण कोई भी हो अपमान होने का कारण कुंडली के विष्लेषण से जाना जा सकता है.

किसी व्यक्ति के लग्न या पंचम स्थान का स्वामी छठवे, आठवें  या बारहवे स्थान में हो जाए अथवा कालपुरूष की कुंडली में सूर्य देव इन स्थान में हो या शनि राहु जैसे ग्रहों से पापाक्रांत हो जाए, तो ऐसे व्यक्ति को अपमानित होना पड़ता है. कहा गया है कि मान सहित विष खाय के, संभू भए जगदीश बिना मान अमृत पिए, राहु कटायो सीस.

अतः अपमान से बचने और मान प्राप्ति हेतु सूर्यदेव की पूजा करनी चाहिए. रविवार सूर्य देव की पूजा का विशेष दिन है. इस दिन की गई पूजा से कुंडली के सूर्य से संबंधित दोष दूर हो जाते हैं. सूर्य की कृपा से व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है. रविवार से शुरू करके हर रोज सूर्य मंत्रों का जप करें और सूर्य को जल अर्पित करें. ये उपाय सभी सुख प्रदान करने वाला माना गया है.

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ऐसे करें सूर्य देव को प्रसन्न

सूर्य यश और मान-सम्मान में वृद्धि का कारक होता है. अगर आपकी कुंडली में सूर्य शुभ होकर कमजोर है तो किसी भी सुर्यमंत्र का जाप करें. सूर्य के मंत्रों का जाप कम से कम 7000 बार करना चाहिए. सूर्यदेव के मंत्रों का जाप शुक्लपक्ष के रविवार से शुरू करना चाहिए. निर्धारित समय में व्यक्ति इन मन्त्रों का जाप अपनी सुविधा के अनुसार ख़त्म कर सकता है. रविवार को सुबह जल्दी उठें, स्नान आदि नित्य कर्मों से निवृत्त होकर किसी मंदिर जाएं या घर पर सूर्य को जल अर्पित करें. पूजन में सूर्य देव के निमित्त लाल पुष्प, लाल चंदन, गुड़हल का फूल, चावल अर्पित करें. गुड़ या गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाएं. इसके बाद इस मंत्र का जप करें.

सूर्यदेव के मंत्र

सूर्य वैदिक मंत्र

ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च.
हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन.

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सूर्य तंत्रोक्त मंत्र

ऊँ घृणि: सूर्यादित्योम
ऊँ घृणि: सूर्य आदित्य श्री
ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय: नम:
ऊँ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम:
सूर्य नाम मंत्र
ऊँ घृणि सूर्याय नम:

पौराणिक मंत्र

जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम.
तमोरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोsस्मि दिवाकरम.

इन मंत्रों में से किसी एक मंत्र का जप किया जा सकता है.

ये भी करें…

  • पूजन में लाल चंदन का तिलक अपने मस्तक पर भी लगाएं.
  • गाय को पानी में थोड़े-से गेहूं भिगोकर खिलाएं.