सत्यपाल राजपूत, रायपुर. गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा में किडनी पीड़ितों के मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. बुधवार को एक और पीड़ित की मौत हो गई. डायलिसिस के लिए उन्हें रायपुर डीकेएस अस्पताल लाया जा रहा था. लेकिन पचपेड़ी नाका के पास ही पीड़ित महिला ने दम तोड़ दिया. महिला कोजिया बाई सुपेबेड़ा के आश्रित गांव ठिरली गुड़ा की रहने वाली थी. इलाज में परिवार की सारी संपत्त बिक गई. इलाज में करीब 8 लाख का खर्च हो गया है. मृतका के परिजनों ने कहा कि सरकार ने गांव में डायलिसिस मशीन लगाने की बात कही थी, लेकिन आज तक नहीं लगाया गया. सरकारी आंकड़े के मुताबिक अब तक 73 ग्रामीणों की किडनी बीमारी से मौत हो गई है.

मृतका के बेटे सोप सिंह ने बताया कि मेरी मां आठ सालों से किडनी की बीमारी से पीड़ित थी. अलग-अलग अस्पतालों में लगातार इलाज जारी रहा. फ़िलहाल भवानी पटना से रायपुर डीकेएस  हॉस्पिटल डायलिसिस के लिए प्राइवेट गाड़ी से लेकर आ रहे थे. पचपेड़ी नाका के आस-पास उसने दम तोड़ दिया.

सोप सिंह ने कहा कि इस परिस्थिति के लिए सरकार ज़िम्मेदार है, नेता अधिकारी सभी यहां आते हैं. रोटी सेक कर चले जाते हैं लेकिन आज तक सुपेबेड़ा में डायलिसिस मशीन चालू नहीं हो सका है. अगर डायलिसिस मशीन चालू होता तो आज मेरी मां की मौत नहीं होती.

सुपेबेड़ा पीड़ितों की इलाज के लिए शासन की ओर से डीकेएस अस्पताल में रखे सुपेबेड़ा निवासी त्रिलोचन सोनवानी ने बताया कि आठ सालों से सारा ज़मीन जायदाद बेचकर इलाज कराए हैं. आज आठ लाख से ज़्यादा हमारे उनके कर्ज हो गया है. ग़रीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले इतना कर्ज कैसे चुकाएंगे.