पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। किडनी की बीमारी से ग्रसित लोगों का गांव सुपेबेड़ा के साथ आस-पास के 9 गांवों में तेल नदी से फ्लोराइड रहित पेयजल उपलब्ध कराने बनाई गई सामुदायिक जल प्रदाय योजना 8 माह बाद भी परवान नहीं चढ़ी है. अतरिक्त समय देने के बावजूद ठेकेदार अब तक महज 30 फीसदी काम ही कर पाया है. स्थिति को देखते हुए अब ठेकेदार पर कार्रवाई की तैयारी है.

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सरकार की प्राथमिकता में शामिल सुपबेड़ा में सामूहिक जल प्रदाय योजना के क्रियान्वयन में कोताही बरती जा रही है. कार्यों की निगरानी के लिए मंगलवार को राजधानी से पीएचई के प्रमुख अभियंता टीडी शांडिल्य और अधीक्षण अभियंता रायपुर मंडल समीर गौड़ सुपेबेड़ा पहुंचे थे. तेल नदी के सेनमुडा घाट पर चल रहे हेड वर्क का निरीक्षण कर कार्य की गुणवत्ता पर तो संतोष जाहिर किया, लेकिन योजना की प्रगति को लेकर नाराजगी जाहिर की.

ईई विप्लव धृतलहरे को अफसरों ने ठेका कंपनी को नोटिस जारी करने के साथ ही कार्य में प्रगति लाने के निर्देश भी दिए. ईई विप्लव धृतलहरे ने बताया कि कार्य 30 फीसदी हुआ है. जो 70 फीसदी कार्य शेष है, उसे दो माह के भीतर कार्य को पूर्ण करने का निर्देश दिया गया है.

2019 में मिली थी योजना को मंजूरी

फ्लोराइड युक्त पानी की वजह से गांव में पहले ही किडनी रोग से ग्रसित मरीजों की संख्या ज्यादा है. ऐसे में गांववालों को तेल नदी से साफ पानी उपलब्ध कराने योजना को पूर्ववर्ती सरकार ने वर्ष 2019 में मंजूरी दे दी थी. योजना के तहत सुपेबेड़ा के अलावा पास के लगे 9 गांव के 2074 परिवार को तेल नदी का साफ पानी पीने के लिए उपलब्ध कराना था.

पाइप लाइन से लेकर टैंक निर्माण तक अधूरा

अधिकांश गांव में जल जीवन मिशन से सप्लाई टंकी का निर्माण हो चुका है. लेकिन तेल नदी से सप्लाई करने 1250 मीटर पाइप लाइन बिछाया जाना था, जो अब तक 814 मीटर ही पाइप लाइन बिछाया गया है. हेड वर्क के अलावा सुपेबेडा में रिमूवल प्लांट और सप्लाई टैंक का निर्माण होना है, जो अब तक अधूरा पड़ा है.

फिर भी पूरा नहीं हुआ काम

योजना के लिए बलरामपुर के ठेका कंपनी महावीर बोरवेल से अनुबंध किया गया था. 8.50 करोड़ के इस कार्य को मार्च 2025 में पूर्ण कर लिया जाना था. लेकिन कार्य पूरा नहीं होने पर अब विभाग ने उसे अक्टूबर 2025 तक कार्य करने का सीमा तय किया गया है. अब देखना है कि इस अवधि में काम पूरा हो पाता है कि नहीं.