Super-30 Director Anand Kumar: दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर (Old Rajendra Nagar) के कोचिंग इंस्टिट्यूट (Rau’s IAS Study Circle) में तीन UPSC के छात्रों की मौत मामले को लेकर लोगों के बीच अब भी काफी ज्यादा गुस्सा है। छात्र इस मामले को लेकर लगातार प्रदर्शन भी कर रहे हैं। छात्रों को सबसे ज्यादा धक्का नामी शिक्षकों को लेकर है, जिन्होंने मामले में कुछ भी नहीं कहा था। छात्रों के निशाने पर विशेषकर विकास दिव्यकीर्ति (Vikas Divyakirti) और अवध ओझा (Avadh Ojha) रहे। इस हादसे के बाद सभी का ध्यान कोचिंग के सेफ्टी मानकों पर गया है। मामले में अब SUPER-30 के संचालक आनंद कुमार ने भी अपनी राय दी है।

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ओल्ड राजेंद्र नगर हादसे पर सुपर-30 के आनंद कुमार ने सरकार को कानून बनाने की सलाह दी। साथ ही कोचिंग के बाजार से बच्चे कैसे बचें, इस पर भी बात की है। आनंद कुमार ने कहा कि शिक्षकों को बोलना चाहिए। मैं किसी के खिलाफ नहीं हूं लेकिन यह सलाह देता हूं कि आप बोलिए और गलतियां हुई हैं तो उसे स्वीकार कीजिए।

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न्यूज एजेंसी ANI को दिए हुए इंटरव्यू में आनंद कुमार ने राजेंद्र नगर हादसे पर दुख जताते हुए कहा कि जब इस तरह की दुर्घटनाएं होती हैं तब लोगों का ध्यान जाता है। ये सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है कि समय पर इंस्पेक्शन करते रहें। कोचिंग संचालकों से मेरी प्रार्थना है कि इतनी जल्दबाजी ना करें. तुरंत पैसे आ जाएं इसका भी कोई उपाय ना करें। कम बच्चों को पढ़ाएं, जहां बैठने, बाथरूम, आने जाने की सुविधा हो। इसका ख्याल रखना जरूरी है।

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SUPER-30 के संचालक ने आगे कहा कि आज दो दशक से भी ज्यादा हो गए हैं, मैं एक शिक्षक के तौर पर पढ़ाते आ रहा हूं और मशहूर भी रहा हूं। साल 2008 में डिस्कवरी चैनल ने मेरे जीवन पर फिल्म बनाई। हमारे बच्चे पढ़कर बड़े-बड़े देश में बाहर गए। इन तमाम उपलब्धियों के बाद हमारे पास बहुत सारे इनवेस्टर आए कि आप अपनी फ्रेंचाइजी बांटिए, इसका एक मॉडल बनाइए लेकिन हमारे भीतर के शिक्षक ने कभी नहीं माना कि दनादन पैसे बनाओ। मेरा तमाम शिक्षकों से ये आग्रह है कि हमारे देश में गुरु को भगवान का दर्जा दिया गया है, इसको व्यवसाय ना बनाएं। बच्चों के हित की बात को सोचते हुए पढ़ाने का सिलसिला जारी रखें।

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विकास दिव्यकीर्ति और अवध ओझा पर कही बड़ी बात

राजेंद्र नगर हादसे के बाद कोचिंग छात्रों ने विकास दिव्यकीर्ति, अवध ओझा और अन्य सेलिब्रेटी की चुप्पी पर सवाल उठाए। उनकी चुप्पी पर उन्हें सोशल मीडिया में जमकर ट्रोल किया। इस पर आनंद कुमार ने कहा कि शिक्षकों को बोलना चाहिए। मैं किसी के खिलाफ नहीं हूं लेकिन यह सलाह देता हूं कि आप बोलिए और गलतियां हुई हैं तो उसे स्वीकार कीजिए और सुधारने का इंतजाम कीजिए. कानून के दायरे में काम कीजिए। वहीं, स्टार टीचर्स के नाम पर कोचिंग में एडमिशन दिलवाने को लेकर आनंद सर ने कहा कि हम बच्चों से अपील करते हैं कि सोच समझकर एडमिशन लीजिए। जरूरी नहीं है कि जिन टीचर का नाम हो गया है वो ही अच्छा पढ़ाए। किसका कंटेंट ताकतवर है, किससे आप कनेक्ट कर पाते हैं, छोटे-छोटे शहरों में भी नामी टीचर हैं, उनको खोजिये. अपने विवेक का इस्तेमाल कीजिए। भीड़ के पीछे मत जाइए। हम तो कहेंगे कि सेल्फ स्टडी पर सबसे ज्यादा यकीन रखिए। अगर आपको एक बार सेल्फ स्टडी करना आ गया तो फिर कोई सक्सेस तक आपको जाने से नहीं रोक सकता है।

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15 साल बाद कोचिंग समाप्त हो जाएंगे

आने वाले टाइम में 15 साल बाद कोचिंग समाप्त हो जाएंगे. ये मेरा अनुभव है और दावा भी है क्योंकि ऑनलाइन में जितने अभी प्रयोग हुए हैं वो सिर्फ एक प्रतिशत हुआ है। अगर टीचर की टीम अच्छा ऑनलाइन क्लासेस बनाती है तो छात्र बंध जाएंगे उनसे. इसके बाद घर बैठे ऑफलाइन से ज्यादा फायदा होगा। सरकार से टीम बनाकर कितनी अच्छी किताब लिखी है NCERT  तो क्यों ना टीम बनाकर UPSC के लिए भी ऑनलाइन पढ़ाई तैयार करवाई जाए।

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कोचिंग हादसे पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

 मामले में सुप्रीम कोर्ट ने (Supreme Court) संवतः संज्ञान लिया है। कोचिंग सेंटर (coaching center) में सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रूख अख्तियार करते हुए कहा कि कोचिंग सेंटर ‘डेथ चेंबर’ बन गए हैं। कोचिंग सेंटर बच्चों की जिंदगी से खेल रहे हैं। मामले में कोर्ट ने कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर मामले में जवाब मांगा है। कोचिंग संस्थानों में फायर सेफ्टी रूल्स के पालन से जुड़े हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ कोचिंग सेंटर फेडरेशन सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। सुनवाई के दौरान सुप्रीम न्यायालय ने सख्त रूख अपनाते हुए ये बातें कही।

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