सुप्रिया पांडे,रायपुर। छत्तीसगढ़ में महिला एवं बाल विकास की सबसे महत्वपूर्ण सुपोषण अभियान योजना बंद कर दी गई है. कुपोषण दूर करने के लिए इस योजना को चलाया जा रहा था. कोरोना काल की वजह से सुपोषण योजना प्रभावित हुई है. आंगनबाड़ी बंद होने के बाद महिलाओं और बच्चों को पोषक आहार और अनीमिया दूर करने के लिए जरूरी दवाइयां नहीं मिल पा रही हैं.

इसे लेकर महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया ने कहा कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान छत्तीसगढ़ के लिए बहुत शानदार और महत्वपूर्ण योजना है. इस योजना से बहुत से लोग लाभान्वित हुए हैं. बहुत से लोग कुपोषण से बाहर हुए हैं. कोरोना की पहली लहर में ये व्यवस्था बनी हुई थी, लेकिन दूसरी लहर में स्थितियां काफी भयावह थी. इसलिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका डरी हुई थी. जिस कारण अभियान की गति थोड़ी धीमी हुई है.

अनुमति मिलने पर दोबारा चालू होगी योजना

मंत्री अनिला भेड़िया ने कहा कि हम शासन को प्रस्ताव भेज रहे हैं कि 15 दिन के अंदर आंगनबाड़ी में बच्चों को गरम भोजन, गर्भवती माताओं को दवाइयां और पौष्टिक आहार पहुंचाई जाए. यदि सरकार की अनुमति होगी, तो 15 दिन में उसे शुरू किया जाएगा. अनुमति मिलने के बाद योजना को फिर से चालू किया जाएगा.

इस जिलों में महुआ के लड्डू भी बांटे गए

बच्चों को महुआ के लड्डू वितरित करने को लेकर मंत्री अनिला भेड़िया ने कहा कि बस्तर में महुआ की उपलब्धता आसानी से हो रही थी. इसलिए वहां के ज्यादातर बच्चों को महुआ का लड्डू उपलब्ध कराया गया. बालोद और सरगुजा में भी लड्डू बांटे गए थे. इसके अलावा बाकी अन्य जिलों में दिक्कत आई है, लेकिन कोशिश है कि हम बच्चों को पौस्टिक आहार प्रदान करें.

2019 में हुई थी शुरुआत, इतनों को मिला लाभ

बता दें कि छत्तीसगढ़ सुपोषण अभियान की शुरूआत 2 अक्टूबर 2019 को हुई थी. इस अभियान में 6 वर्ष तक के बच्चों को पौष्टिक आहार प्रदान किया जाता है. इसके साथ ही 15 से 49 आयु वर्ग की महिलाओं को भी एनीमिया से मुक्त कराने के लिए जरूरी दवाएं और पौष्टिक आहार का वितरण किया जाता है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस योजना से अब तक 36 हजार 714 बच्चे, 22 हजार 534 महिलाएं, 24 हजार 826 गर्भवती महिलाएं और 15 से 49 वर्ष की बालिकाओं और महिलाओं को इसका लाभ मिल चुका है.

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