भुवनेश्वर. विधानसभा में चल रहे भाजपा विधायकों के हंगामा के बीच स्कूल और जन शिक्षा समेत पंचायती राज और पेयजल विभागों का अनुपूरक बजट हंगामे के बीच शनिवार को पारित कर दिया गया. दो भाजपा विधायकों के निलंबन को लेकर विधानसभा में भाजपा नेताओं ने कार्यवाही को बाधित करने की कोशिश की. हालांकि हंगामे के बावजूद सप्लिमेंट्री बजट पारित हो गाया है.
पार्टी अपने दो विधायकों के निलंबन को रद्द करने और विपक्ष के नेता जयनारायण मिश्रा के खिलाफ की गई टिप्पणियों को हटाने की अपनी मांग पर अड़ी रही. कांग्रेस के बहिष्कार और भाजपा सदस्यों के सदन के वेल में विरोध प्रदर्शन के बीच अन्य सभी विभागों के अनुपूरक व्यय को गिलोटिन के माध्यम से पारित किया गया.
अनुपूरक बजट पारित होने से पहले स्पीकर प्रमिला मल्लिक ने घोषणा की कि विपक्ष के नेता के खिलाफ बीजेडी विधायक अरुण साहू की मानसिक विकार वाली टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया है. हालांकि, बार-बार स्थगन और सर्वदलीय बैठक के बाद भी विधानसभा में सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो सकी. भाजपा अपनी तीन मांगों को लेकर अड़ी रही जिममें मिश्रा के खिलाफ साहू द्वारा की गई टिप्पणी को समाप्त करना, अरुण साहू का मिश्रा से माफी मांगना और विपक्ष के मुख्य सचेतक मोहन माझी और मुकेश महालिंग का निलंबन हटाना शामिल था.
चूंकि भाजपा की अन्य दो मांगें पूरी नहीं की गईं, पार्टी के सदस्यों ने सदन में अपना विरोध जारी रखा, जिसके कारण सदन में शाम 6 बजे तक कोई कामकाज नहीं हो सका. स्पीकर पर सत्तारूढ़ बीजद की इशारे पर नाचने का आरोप लगाते हुए मिश्रा ने कहा कि अध्यक्ष को पार्टी लाइनों से ऊपर रहना चाहिए और विधानसभा के नियमों के अनुसार कार्य करना चाहिए. उन्होंने कहा जब सदन में अव्यवस्था हो तो सर्वदलीय बैठक बुलाकर स्थिति को सामान्य बनाना स्पीकर का कर्तव्य था, जो उन्होंने नहीं किया.
स्पीकर की कार्रवाई पर आपत्ति जताते हुए कांग्रेस विधायक नरसिंह मिश्रा ने कहा कि आज चर्चा के लिए कई महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, लेकिन स्पीकर ने उसी परंपरा का पालन किया जो भाजपा संसद में कर रही है. यह सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है कि सदन सुचारू रूप से चले. “ऐसा लगता है कि अतीत में जो कुछ भी हुआ, उसके लिए सरकार बैकफुट पर है. उन्होंने कहा, सत्ता पक्ष किसी को मानसिक रूप से विक्षिप्त कहकर विपक्ष को गाली दे रहा है, जो अनुचित है.
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