Supreme Court on UP bulldozer action. बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने अतीक अहमद की संपत्ति मानकर दूसरी संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने को लेकर फटकार लगाई. वहीं कोर्ट ने कहा है कि वह गिराए गए मकानों को सरकार के खर्च पर दोबारा बनवाने का आदेश दे सकता है. इस मामले में याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि नोटिस मिलने के कुछ देर बाद ही उनकी संपत्ति पर बुलडोजर चलवा दिया गया. जिससे उन्हें कानूनी बचाव करने का मौका तक नहीं मिला. अब इस मामले में अगली सुनवाई 21 मार्च को है.

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बता दें मामला 2021 का है. 7 मार्च को हुई इस कार्रवाई में प्रोफेसर अली अहमद और वकील जुल्फिकार हैदर समेत कुल 5 लोगों के मकान गिराए गए थे. याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि उन्हें 6 मार्च की रात को नोटिस दिया गया. हालांकि, नोटिस पर 1 मार्च की तारीख लिखी थी. याचिकाकर्ताओं के मुताबिक वे सभी उस जमीन के लीज होल्डर थे. लेकिन प्रशासन ने इस संपत्ति को अतीक की संपत्ति मानकर कार्रवाई कर दी.

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सरकार के खर्च पर इन मकानों को दोबारा बनवाएं- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस अभय एस ओका और एन कोटिश्वर सिंह की बेंच आनन-फानन में मकान गिरा दिए जाने को गलत बताया. जस्टिस ओका ने कहा, “क्या आपको पता है कि संविधान में अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) जैसा भी कुछ है?” जिस तरह का यह मामला है, उसका एक समाधान यह हो सकता है कि हम सरकार के खर्च पर इन मकानों को दोबारा बनवाएं. पीठ ने बुलडोजर एक्शन पर आए सुप्रीम कोर्ट के दूसरी बेंच के फैसले का हवाला दिया. उस फैसले में कहा गया था कि लोगों को पर्याप्त समय और कानूनी बचाव का मौका देने के बाद ही विध्वंस की कार्रवाई हो सकती है.