नई दिल्ली। आरजेडी के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को 1995 के एक डबल मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने दोषी करार दिया है. मामले में पूर्व सांसद को निचली अदालत बरी कर दिया था, वहीं पटना हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने मामले में पूर्व सांसद को दोषी ठहराते हुए सजा पर बहस के लिए एक सितंबर की तारीख तय की है.

बिहार की महाराजगंज लोकसभा सीट से तीन बार जेडीयू और एक बार आरजेडी के टिकट पर सांसद रह चुके प्रभुनाथ सिंह पर 1995 में मसरख के एक मतदान केंद्र के पास दारोगा राय और राजेंद्र राय की हत्या का आरोप था. आरोप था कि दोनों ने प्रभुनाथ सिंह समर्थित कैंडिडेट को वोट नहीं दिया इसलिए उनकी हत्या कर दी गई.

मृतक के भाई द्वारा गवाहों को धमकाने की शिकायत के बाद केस को छपरा से पटना ट्रांसफर कर दिया गया, जहां इसका ट्रायल हुआ. 2008 में पटना की अदालत ने सबूतों के अभाव में प्रभुनाथ सिंह को बरी कर दिया. 2012 में पटना हाईकोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को सही ठहरा दिया. इसके बाद मृतक राजेंद्र राय के भाई ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एएस ओका और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए केस के आरोपी नंबर 2 प्रभुनाथ सिंह को दोषी करार दिया. कोर्ट ने कहा कि सिंह के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं. केस के बाकी आरोपियों को रिहाई को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया. कोर्ट ने सजा पर बहस के लिए 1 सितंबर की तारीख दी है, जिस दिन प्रभुनाथ सिंह को पेश करने का आदेश बिहार के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को दिया गया है.

जेल में सजा काट रहे हैं प्रभुनाथ सिंह

प्रभुनाथ सिंह वर्तमान में 1995 के ही एक मर्डर केस में जेल की सजा काट रहे हैं. मसरख के विधायक अशोक सिंह की 1995 में हत्या हो गई थी, जिन्होंने चुनाव में प्रभुनाथ सिंह को हराया था. हार के बाद प्रभुनाथ सिंह ने कथित तौर पर कहा था कि तीन महीने के अंदर अशोक सिंह को मार देंगे. अशोक सिंह की हत्या उनके घर पर दिनदहाड़े कर दी गई थी. इस केस में 2017 में प्रभुनाथ सिंह को दोषी ठहराया गया, और उसी केस में वो इस समय जेल में सजा भुगत रहे हैं.