Supreme Court On Bulldozer Action: ‘अपना घर हो, अपना आंगन हो, इस ख्वाब में हर कोई जीता है। इंसान के दिल की ये चाहत है कि एक घर का सपना कभी न छूटे। किसी का घर सिर्फ इस आधार पर नहीं तोड़ा जा सकता कि वह किसी आपराधिक मामले में दोषी या आरोपी है। हम सरकारी शक्तियों के दुरुपयोग को मंजूरी नहीं दे सकते। ऐसा हुआ तो देश में अराजकता आ जाएगी। अफसर जज नहीं बन सकते। वे तय न करें कि दोषी कौन है। बुलडोजर एक्शन पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विश्वनाथन की बेंच ने कमेंट किया।
सुप्रीम कोर्ट ने के बुलडोजर एक्शन पर बड़ा फैसला देते हुए कार्रवाई को लेकर 15 गाइडलाइन भी जारी की है। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या यूपी समेत देश के अन्य राज्यों में होने वाले बुलडोजर कार्रवाई पर लगाम लग जाएगी। ऐसे में जानते हैं कि किस तरह के मामलों में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आज बताए गए निर्देश नहीं लागू होंगे।
कोर्ट ने नहीं रोकी है कार्रवाई
सबसे पहली बात कि कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई है। कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया है कि किसी भी संपत्ति का विध्वंस तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक उसके मालिक को 15 दिन पहले नोटिस न दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि यह नोटिस मालिक को पंजीकृत डाक के जरिए से भेजा जाएगा। इसे निर्माण की बाहरी दीवार पर भी चिपकाया जाएगा। नोटिस में अवैध निर्माण की प्रकृति, उल्लंघन का विवरण और विध्वंस के कारणों को बताया जाएगा।
बुलडोजर एक्शन की वीडियोग्राफी भी की जाएगी। अगर इन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन होता है तो यह कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आम नागरिक के लिए अपने घर का निर्माण कई वर्षों की मेहनत, सपने और आकांक्षाओं का परिणाम होता है। घर सुरक्षा और भविष्य की एक सामूहिक आशा का प्रतीक है। अगर इसे छीन लिया जाता है, तो अधिकारियों को यह साबित करना होगा कि यह कदम उठाने का उनके पास एकमात्र विकल्प था।
नोटिस जारी कर हटा सकते हैं अतिक्रमण
सुप्रीम कोर्ट की ओर से अतिक्रमण को लेकर पहले से ही कड़ा आदेश जारी किया हुआ है। अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी कर उसे हटाए जाने की प्रक्रिया निर्धारित है। वहीं, बिल्डिंग का निर्माण करने के लिए शहरी स्तर पर विकास प्राधिकारी या निकाय से नक्शा को पास कराना होता है। बिना नक्शा पास कराए मकान के निर्माण को अवैध माना जाता है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट और निकाय नियमावली प्राधिकार को अवैध निर्माण तोड़ने की मंजूरी देते हैं। सड़क चौड़ीकरण को लेकर भी पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया है।
अफसर दोषी हुआ तो कराएगा निर्माण, मुआवजा भी देगा
कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया है कि अगर कोई अफसर गाइडलाइन का उल्लंघन करता है तो वो अपने खर्च पर दोबारा प्रॉपर्टी का निर्माण कराएगा और मुआवजा भी देगा।
जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने लगाई थी याचिका
जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। आरोप लगाया था कि BJP शासित राज्यों में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है और बुलडोजर एक्शन लिया जा रहा है। केंद्र सरकार ने दलील दी थी कि कोर्ट अपने फैसले से हमारे हाथ ना बांधे। किसी की भी प्रॉपर्टी इसलिए नहीं गिराई गई है, क्योंकि उसने अपराध किया है। आरोपी के अवैध अतिक्रमण पर कानून के तहत एक्शन लिया गया है।
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क्या हो सकता है क्या नहीं?
- सिर्फ इसलिए घर नहीं गिराया जा सकता क्योंकि कोई व्यक्ति आरोपी है. राज्य आरोपी या दोषी के खिलाफ मनमानी कार्रवाई नहीं कर सकता.
- बुलडोजर एक्शन सामूहिक दंड देने के जैसा है, जिसकी संविधान में अनुमति नहीं है.
- निष्पक्ष सुनवाई के बिना किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता.
- कानून के शासन, कानूनी व्यवस्था में निष्पक्षता पर विचार करना होगा.
- कानून का शासन मनमाने विवेक की अनुमति नहीं देता है. चुनिंदा डिमोलेशन से सत्ता के दुरुपयोग का सवाल उठता है.
- आरोपी और यहां तक कि दोषियों को भी आपराधिक कानून में सुरक्षा दी गई है. कानून के शासन को खत्म नहीं होने दिया जा सकता है.
- संवैधानिक लोकतंत्र में नागरिक अधिकारों और आजादी की सुरक्षा जरूरी है.
- अगर कार्यपालिका मनमाने तरीके से किसी नागरिक के घर को इस आधार पर ध्वस्त करती है कि उस पर किसी अपराध का आरोप है तो यह संविधान कानून का उल्लंघन है.
- अधिकारियों को इस तरह के मनमाने तरीके से काम करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.
- अधिकारियों को सत्ता का दुरुपयोग करने पर बख्शा नहीं जा सकता.
- स्थानीय कानूनों का उल्लंघन करने वाले घर को गिराने पर विचार करते वक्त यह देखना चाहिए कि नगरपालिका कानून में क्या अनुमति है. अनधिकृत निर्माण समझौता योग्य हो सकता है या घर का केवल कुछ हिस्सा ही गिराया जा सकता है.
- अधिकारियों को यह दिखाना होगा कि संरचना अवैध है और अपराध को कम करने या केवल एक हिस्से को ध्वस्त करने की कोई संभावना नहीं है
- नोटिस में बुलडोजर चलाने का कारण, सुनवाई की तारीख बताना जरूरी होगी.
- डिजिटल पोर्टल 3 महीने में बनाया जाना चाहिए, जिसमें नोटिस की जानकारी और संरचना के पास सार्वजनिक स्थान पर नोटिस प्रदर्शित करने की तारीख बताई गई है.
- व्यक्तिगत सुनवाई की तारीख जरूर दी जानी चाहिए.
- आदेश में यह जरूर नोट किया जाना चाहिए कि बुलडोजर एक्शन की जरूरत क्यों है.
- केवल तभी इमारत गिराई जा सकती है, जब अनधिकृत संरचना सार्वजनिक सड़क/रेलवे ट्रैक/जल निकाय पर हो. इसके साथ ही प्रक्रिया का पालन करने के बाद ही इमारत गिराई जा सकती है
- केवल वे संरचनाएं ध्वस्त की जाएंगी, जो अनाधिकृत पाई जाएंगी और जिनका निपटान नहीं किया जा सकता.
- अगर अवैध तरीके से इमारत गिराई गई है, तो अधिकारियों पर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी और उन्हें हर्जाना देना होगा.
- अनाधिकृत संरचनाओं को गिराते वक्त विस्तृत स्पॉट रिपोर्ट तैयार की जाएगी. पुलिस और अधिकारियों की मौजूदगी में तोड़फोड़ की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी. यह रिपोर्ट पोर्टल पर पब्लिश की जाएगी.
- दिशा-निर्देशों का उल्लंघन पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों को संपत्ति की बहाली के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा.
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