नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस महानिदेशकों (डीजीपी) के चयन एवं उनकी नियुक्ति के आदेश में संशोधन करने की पांच राज्यों की मांग को खारिज कर दिया है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा, पंजाब, पश्चिम बंगाल, बिहार, केरल सरकार की मांग ठुकराते हुए कहा कि डीजीपी की नियुक्ति के संबंध में पिछले समय का आदेश जनहित में है. और उसमें किसी तरह का बदलाव करने की आवश्यकता नहीं है.
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने पुलिस रिफार्म मामले में सुनवाई के बाद दिया. पीठ ने कहा कि डीजीपी की नियुक्तियों के संबंध में पिछले निर्देश पुलिस अधिकारियों को राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाने के लिए जनहित में जारी किए गए थे. बता दें कि शीर्ष अदालत ने 3 जुलाई 2006 को देश में पुलिस सुधार को लेकर कई निर्देश और डीजीपी की नियुक्ति को संबंध में व्यवस्था दी थी.
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद छत्तीसगढ़ बीजेपी ने कांग्रेस सरकार को अपना फैसला वापस लेने कहा है. विधि सेल के प्रमुख नरेश गुप्ता ने भूपेश सरकार द्वारा डीजीपी और मुख्य सचिव की नियुक्ति पर विधि अनुसार पुनर्विचार करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार शासन को विधि सम्मत पुनर्विचार कर उनकी जगह नये डीजीपी और नये मुख्य सचिव की नियुक्ति करनी चाहिए.
बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने विधानसभा सत्र में डीजीपी नियुक्ति को लेकर सीएम भूपेश बघेल पर बड़ा हमला बोला था. उन्होंने तीखे लहजे में कहा था कि चालू प्रभार दे दिया है, क्या डीजीपी को पटवारी समझ रखे हैं. रमन सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है किसी ऐसे ही नहीं हटा सकते. यह तो छलकपट की राजनीति हो गई. ऐसी राजनीति छत्तीसगढ़ में नहीं चलेगी. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करना होगा.
दरअसल सत्ता में आते ही सीएम भूपेश बघेल ने सबसे पहले रमन सरकार में डीजीपी रहे एएन उपाध्याय को हटाकर नक्सल ऑपरेशन स्पेशल डीजी डीएम अवस्थी को प्रभारी डीजीपी बना दिया. इसके बाद फिर उन्होंने मुख्य सचिव अजय सिंह को हटाकर सुनील कुजूर सीएस का प्रभार दे दिया है.