Supreme court Hearing On Bihar SIR: बिहार एसआईआर (वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन) पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मामले में राज्य की सभी राजनीतिक दलों (11 पार्टियां) की निष्क्रियता पर कड़ी टिप्पणी की। देश के शीर्ष न्यायालय ने कहा कि सियासी आखिर क्या क्या रहे हैं? वो लोगों की इसमें मदद क्यों नहीं कर रहे हैं? वहीं सुप्रीम कोर्ट कोर्ट ने साफ किया कि वोटर लिस्ट के लिए चल रही एसआईआर की प्रक्रिया के दौरान वोटर्स द्वारा दिए जाने वाले 11 डॉक्युमेंट्स या फिर आधार कार्ड को स्वीकार करना होगा। मामले की अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हटाए गए वोटर, लिस्ट में अपना नाम जुड़वाने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। फॉर्म को फिजिकली जमा करना जरूरी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि आधार कार्ड समेत फॉर्म 6 में दिए गए 11 दस्तावेज में से कोई भी जमा किया जा सकता है, इनमें ड्राइविंग लाइसेंस, पासबुक, पानी का बिल जैसे डॉक्यूमेंट शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि राजनीतिक दलों की निष्क्रियता हैरान करने वाली है। अदालत ने सवाल उठाया कि बीएलए (बूथ स्तर एजेंट) नियुक्त करने के बाद वे क्या कर रहे हैं और लोगों तथा स्थानीय राजनीतिक कार्यकर्ताओं के बीच इतनी दूरी क्यों है। कोर्ट ने साफ कहा कि राजनीतिक दलों को मतदाताओं की मदद के लिए आगे आना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने पार्टियों से पूछा- आप क्या कर रहे हैं

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चुनाव आयोग से कई सवाल पूछे। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा- राजनीतिक दलों की निष्क्रियता हैरान करने वाली है। राज्य की 12 पॉलिटिकल पार्टियों में से यहां मात्र 3 पार्टियां ही कोर्ट में आई हैं। वोटर्स की मदद के लिए आप क्या कर रहे हैं। कोर्ट ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि राजनीतिक दलों के लगभग 1.6 लाख बूथ लेवल एजेंट होने के बावजूद, उनकी ओर से केवल दो आपत्तियां ही आई हैं।

SIR की समयसीमा बढ़ाने की मांग

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने दलील दी, ‘यह मुद्दा प्रासंगिक नहीं है। सभी को चुनाव आयोग पर भरोसा रखना चाहिए। हमें कुछ समय दीजिए, हम बेहतर तस्वीर सामने रखेंगे और साबित करेंगे कि किसी को भी बाहर नहीं किया गया है।’ अधिवक्ता ग्रोवर ने इसका विरोध करते हुए कहा, ‘इस पूरी प्रक्रिया को लेकर ज़मीन पर भ्रम फैला हुआ है। आयोग को इस पर प्रेस रिलीज़ जारी करनी चाहिए और समयसीमा बढ़ानी चाहिए ताकि निष्पक्षता बनी रहे। भूषण ने सवाल उठाया, ‘7.24 करोड़ मतदाताओं का क्या होगा? 12% को BLOs ने ‘नॉट रिकमेंडेड’ कहा है। रोज़ाना 36 हज़ार फॉर्म की जांच करनी होगी, यह संभव नहीं है। ऐसे में कोई उपाय नहीं बचेगा।

कोर्ट ने पूछा- कितने बूथ लेवल एजेंट (BLA) नियुक्त किए गए हैं

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पूछा, ‘कितने बूथ लेवल एजेंट (BLA) नियुक्त किए गए हैं, और क्या आपको और एजेंटों की जरूरत है?’ चुनाव आयोग की ओर से बताया गया, किसी भी पार्टी ने इस संबंध में कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बीजेपी का भी नाम लिया, इस पर सिब्बल ने कहा कि बीजेपी क्यों आएगी?

आधार कार्ड मानना होगा: SC

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बड़ा आदेश देते हुए वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की अनुमति दी है। फॉर्म को फिजिकली जमा करना जरूरी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि फॉर्म 6 में दिए गए 11 दस्तावेज़((जैसे ड्राइविंग लाइसेंस, पासबुक, पानी का बिल आदि) में से कोई भी या आधार कार्ड जमा किया जा सकता है। कोर्ट ने आधार कार्ड को भी स्वीकार करने का आदेश दिया है।

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