नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण के मामले में आखिरकार फैसला आ ही गया. जस्टिस अरुण मिश्रा ने प्रशांत भूषण को एक रुपए का जुर्माना लगाया है. जुर्माना अदा नहीं करने पर तीन साल तक प्रेक्टिस पर प्रतिबंध और 3 महीने की सजा का प्रावधान रखा है.

बता दें कि वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने ट्वीट के जरिए सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली के साथ-साथ न्यायाधीशों पर टिप्पणी की थी, इनमें से दो ट्वीट को अदालत ने अवमानना मानते हुए प्रशांत भूषण को माफी मांगने के लिए कहा था, लेकिन प्रशांत भूषण ने माफी मांगने से इंकार कर दिया था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 25 अगस्त को हुई सुनवाई में प्रशांत भूषण को एक बार फिर अपने निर्णय पर विचार करने का मौका दिया था, लेकिन प्रशांत भूषण के माफी नहीं मांगने के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया था. इस पर सोमवार को फैसला सुनाया गया.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा, बीआर गवई और कृष्णा मुरारी की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि अगर 15 सितंबर तक प्रशांत भूषण जुर्माना अदा नहीं करते तब 3 महीने की सजा क्रियान्वित होगी और 3 साल के लिए प्रेक्टिस पर रोक लगाई जाएगी. इसके अलावा बेंच ने अपने फैसले में जनवरी 2018 में की गई सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों की प्रेस कॉन्फ्रेस को भी गलत बताया है. बेंच ने कहा कि न्यायाधीशों से प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की अपेक्षा नहीं होती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी है लेकिन दूसरों के अधिकारों का भी सम्मान करना चाहिए.