Manipur Violence: हिंसा प्रभावित मणिपुर को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. मणिपुर के डीजीपी राजीव सिंह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. उन्होंने राज्य में हिंसा के दौरान दर्ज शून्य एफआईआर, नियमित एफआईआर, बयान और गिरफ्तारियों का विवरण दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के तीन पूर्व जजों की एक कमेटी बनाई है. जिसमें जस्टिस गीता मित्तल, जस्टिस शालिनी जोशी और जस्टिस आशा मेनन शामिल हैं. समिति की अध्यक्षता न्यायमूर्ति गीता मित्तल करेंगी. यह कमेटी जांच, राहत, मुआवजा, पुनर्वास आदि मुद्दे पर जांच करेगी. कोर्ट ने कहा कि लोगों में भरोसा जगाने की कोशिश की जानी चाहिए.
इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि सीबीआई जांच की निगरानी एक आईपीएस अधिकारी करेंगे. यह आदेश चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने दिया है.
अटॉर्नी जनरल ने कहा- कृत्रिम स्थिति पैदा की गई
इससे पहले अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि मणिपुर में ऐसी कृत्रिम स्थिति पैदा कर दी गई है कि सरकार कुछ नहीं कर रही है. यह बहुत ही भ्रमित करने वाली स्थिति है. उन्होंने कहा कि बाहर से जांच कराने से लोगों में अविश्वास पैदा होगा. सरकार परिपक्व तरीके से स्थिति को संभाल रही है.
हिंसा प्रभावित छह जिलों के लिए एसआईटी का गठन किया जाएगा
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि किसी भी बाहरी जांच की अनुमति दिए बिना जिला स्तर पर एसआईटी का गठन किया जाएगा. हिंसा प्रभावित छह जिलों में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की एसआईटी गठित की गई है. एसआईटी का नेतृत्व पुलिस अधीक्षक स्तर का अधिकारी करेगा. एसआईटी के कामकाज पर डीआइजी और डीजीपी स्तर के अधिकारी नजर रखेंगे.
महिला अपराधों की जांच सीबीआई करेगी
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि महिलाओं से जुड़े 12 मामलों की जांच सीबीआई करेगी. महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े अन्य मामले सामने आने पर उनकी भी जांच सीबीआई से करायी जायेगी. जिनमें सभी महिलाएं होंगी. उन्होंने कहा कि सीबीआई टीम में दो महिला एसपी अधिकारी हैं.
पुलिस पर भरोसा करना ठीक नहीं है
वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने दलील दी कि मणिपुर में संघर्ष जारी है. मेरा मामला आगे के अपराधों की जांच और रोकथाम के बारे में है. वहीं, वकील निज़ाम पाशा ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध की 16 एफआईआर हैं.
सभी को सीबीआई को ट्रांसफर करने की जरूरत है. उन्होंने एसआईटी पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसका चयन राज्य द्वारा किया जाता है. पुलिस पर अपराधों में मिलीभगत का आरोप है. चयन न्यायालय द्वारा होना चाहिए.
वकील प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि हथियारों और गोला-बारूद की आपूर्ति की जांच के लिए एक स्वतंत्र निकाय होना चाहिए. केंद्र ने दलील दी कि जांच में पुलिस पर भरोसा न करना उचित नहीं होगा. एसजी मेहता ने कहा कि पुलिस अधिकारियों पर भरोसा न करना उचित नहीं होगा.
Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें,
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक