नोएडा में बने सुपरटेक के ट्विन टावर को गिराए एक साल का समय बीत चुका है. मगर अब भी घर खरीददारों को भुगतान नहीं किया गया है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने खरीददारों को राहत दी है. कोर्ट ने बुधवार को यूनियन बैंक को निर्देश दिया कि वह ध्वस्त हो चुके सुपरटेक के ट्विन टावरों के 15 घर खरीदारों को 1.25 करोड़ रिफंड में से 15 लाख से ज्यादा की राशि जारी करे. दिवालिया की कार्यवाही का सामना कर रही रियल एस्टेट फर्म को 10 दिनों के भीतर राशि जारी करने का निर्देश दिया गया था.
यह आदेश तब जरूरी हो गया जब कोर्ट ने 17 जुलाई को सुपरटेक के अंतरिम रिसॉल्यूशन प्रोफेशनल (आईआरपी) को 31 अगस्त तक सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में राशि जमा करने का निर्देश दिया ताकि संबंधित घर खरीदारों को भुगतान किया जा सके. आईआरपी पूरी राशि जमा करने में विफल रही क्योंकि यूनियन बैंक ने उसके हिस्से का 15,51,678 का भुगतान करने से इनकार कर दिया. बैंक ने एक सितंबर को आईआरपी को पत्र लिखकर दावा किया कि राशि का भुगतान नहीं किया जा सकता क्योंकि ट्विन टावर्स- एपेक्स और सेयान – सुपरटेक के एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं जो दिवालिया कार्यवाही का हिस्सा नहीं हैं.
इसके अलावा, बैंक ने दावा किया कि वह उस कार्यवाही में पक्षकार नहीं है जिसमें आदेश पारित किया गया था और आईआरपी से कहा कि वह न केवल घर खरीदारों बल्कि वित्तीय लेनदारों के हितों की रक्षा करने के लिए कर्तव्यबद्ध है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘हम यूनियन बैंक को 17 जुलाई के हमारे आदेश के अनुपालन के लिए सुपरटेक को 15,51,678 की राशि जारी करने को सुनिश्चित करने के लिए 10 दिनों के भीतर कदम उठाने का निर्देश देते हैं.’
न्याय मित्र के रूप में कोर्ट की मदद कर रहे अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने बैंक के पत्र और 7 सितंबर को आईआरपी से प्राप्त एक संचार को अटैच करते हुए आवेदन में इस तथ्य को अदालत के सामने पेश किया. 15 घर खरीदारों पर कुल बकाया राशि 7.04 करोड़ थी, जिसमें से 2.55 करोड़ बकाया और भुगतान योग्य थे. कोर्ट के पहले आदेश में इस राशि का भुगतान दो किस्तों में करने को कहा गया था. कोर्ट ने आगे निर्देश दिया कि 1.25 करोड़ की प्रारंभिक जमा राशि सुपरटेक के प्रशासनिक खर्चों को पूरा करने के लिए निर्धारित 30 प्रतिशत राशि में से की जानी है.