Supreme Court Hearing On Domestic Violence: घरेलू हिंसा से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। देश के शीर्ष न्यायालय ने वैवाहिक विवादों में एफआईआर दर्ज होने के दो महीने तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। साथ ही किसी प्रकार की कार्रवाई भी नहीं की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के दो साल पुराने दिशा-निर्देशों को अपनाते हुए कहा है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 498A (पति-पत्नी द्वारा कथित क्रूरता के मामलों में) के तहत दर्ज मामलों में पुलिस आरोपियों को दो महीने तक गिरफ्तार न करे।

यह भी पढ़ें: ‘पीएम नरेंद्र मोदी आतंकवादी हैं…,’ मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के साले ने भारतीय प्रधानमंत्री को आतंकी बताया, लिखा- इस्लाम के सबसे बड़े दुश्मन

शीर्ष न्यायालय ने कहा कि जब कोई महिला अपने ससुराल वालों के खिलाफ 498A के तहत घरेलू हिंसा या दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कराए तो पुलिस वाले उसके पति या उसके रिश्तेदारों को दो महीने तक गिरफ्तार न करे। कोर्ट ने दो महीने की अवधि को शांति अवधि कहा है।

यह भी पढ़ें: बलात्कारी दरोगाः इंस्टा पर फ्रेंडशिप की, शादी का झांसा देकर फ्लैट में कई बार किया सेक्स, हवस की प्यास बुझाने के बाद बोला- बस यहीं तक था हमारा साथ

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने उस मामले की सुनवाई के दौरान दी, जिसमें एक आईपीएस अधिकारी पत्नी ने अपने पति और ससुर पर झूठे मामले दर्ज कराए, और पति को 109 दिन तथा ससुर को 103 दिन जेल में बिताने पड़े थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “जो यातना उन्होंने सही, उसकी न तो भरपाई की जा सकती है, न ही उसका समाधान किया जा सकता है। पत्नी द्वारा लगाए गए सभी आरोप झूठे साबित हुए, जिसके बाद कोर्ट ने महिला से बिना शर्त सार्वजनिक माफ़ी मांगने को कहा।

यह भी पढ़ें: बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और उनकी पत्नी अनामिका पर FIR दर्ज, दुबे परिवार के खिलाफ यह 47वां मुकदमा

देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की पीठ ने मंगलवार को इन दिशानिर्देशों को पूरे भारत में लागू करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा, “इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा 13 जून 2022 को क्रिमिनल रिवीजन नंबर 1126/2022 के विवादित फैसले में अनुच्छेद 32 से 38 के तहत ‘आईपीसी की धारा 498ए के दुरुपयोग से बचाव के लिए परिवार कल्याण समितियों के गठन’ के संबंध में तैयार किए गए दिशानिर्देश प्रभावी रहेंगे और उपयुक्त अधिकारियों द्वारा लागू किए जाएंगे।

यह भी पढ़ें: भारत-यूके के बीच आज होगा ऐतिहासिक ऐलान, ‘फ्री ट्रेड एग्रीमेंट’ पर लगेगी मुहर, ब्रिटिश व्हिस्की-वाइन और कपड़े समेत ये चीजें हो जाएंगी सस्ती

दो माह तक पुलिस कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेगी

इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2022 के दिशानिर्देशों के मुताबिक, दो महीने की शांति अवधि पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तारी सहित कोई भी कार्रवाई करने से रोकता है। HC के दिशानिर्देशों के अनुसार, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498ए के तहत दर्ज मामलों को पहले संबंधित जिले की परिवार कल्याण समिति (FWC) को निपटारे के लिए भेजा जाना चाहिए, और इस दौरान यानी पहले के दो महीनों तक पुलिस कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेगी।

यह भी पढ़ें: PM Modi UK Visit: पीएम मोदी लंदन पहुंचे, गर्मजोशी से हुआ स्वागत, प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर और किंग चार्ल्स से मिलेंगे; दोनों देशों के बीच होगा ‘फ्री ट्रेड एग्रीमेंट’

सुप्रीम कोर्ट ने पहले कर दिया था निरस्त

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा जारी यह दिशानिर्देश 2017 में राजेश शर्मा एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य मामले में दिए गए फैसले पर आधारित हैं। दिलचस्प बात यह है कि 2018 में सोशल एक्शन फॉर मानव अधिकार बनाम भारत संघ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ इसे संशोधित कर दिया था बल्कि इसे निरस्त भी कर दिया था। इस वजह से FWC निष्क्रिय हो गए थे। बहरहाल, कल के फैसले के साथ ही इलाहाबाद हाई कोर्ट का वे दिशानिर्देश अब लागू हो गए हैं।

यह भी पढ़ें: उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए इलेक्शन कमीशन की तैयारी शुरू, जल्द तारीखें घोषित होंगी, थावरचंद गहलोत नए वाइस प्रेसिडेंट की दौर में सबसे आगे, बीजेपी का बैकअप प्लान भी तैयार

नहीं की जा सकती गिरफ्तारी

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों के अनुसार, प्राथमिकी दर्ज होने के बाद कूलिंग ऑफ पीरियड के बिना अभियुक्त के विरुद्ध कोई गिरफ्तारी या पुलिस कार्रवाई नहीं की जा सकती। इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य ऐसे मामलों को रोकना है, जिनमें पत्नी द्वारा पति और पूरे परिवार को झूठे आरोपों में फंसा दिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त निर्देश दिए कि इन गाइडलाइंस का पालन सुनिश्चित किया जाए, ताकि कानून का दुरुपयोग रोका जा सके और साथ ही असली पीड़िता को भी न्याय मिल सके।

यह भी पढ़ें: दो सगे भाइयों ने एक ही लड़की से शादी की; एक गवर्नमेंट जॉब में, दूसरा विदेश में, भारत के इस राज्य में अभी भी है बहुपति प्रथा

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m