नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा कोटकपूरा हिंसा मामले में पारित 9 अप्रैल के आदेश में कुछ निष्कर्षों और टिप्पणियों को चुनौती देने वाली पंजाब सरकार की ओर से दायर एक विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी किया है. यह मामला गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटना से जुड़ा है. न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की पीठ ने सोमवार को पारित एक आदेश में कहा कि इस मामले में नोटिस जारी किया जाता है. मेसर्स करंजावाला एंड कंपनी, एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड प्रतिवादी नंबर-1 की ओर से नोटिस स्वीकार करता है. अन्य उत्तरदाताओं को नोटिस जारी किया जाना चाहिए, जिस पर 4 हफ्ते में जवाब देना है.

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उच्च न्यायालय ने आरोप पत्र को खारिज कर दिया था और निर्देश दिया था कि कथित हिंसा की जांच पंजाब पुलिस के नवनियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा की जाए. पंजाब सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद पेश हुए. कोटकपूरा के तत्कालीन एसएचओ गुरदीप सिंह, जिन्हें याचिका में प्रतिवादी नंबर 1 के रूप में रखा गया है, उनका प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार और आर एस चीमा ने किया. वहीं करंजावाला एंड कंपनी की एक टीम का नेतृत्व नंदिनी गोर और संदीप कपूर ने किया.

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मामले से जुड़े एक वकील के अनुसार, शीर्ष अदालत ने कहा कि वर्तमान मामला एक गंभीर मुद्दा है और इसकी अधिक विस्तार से जांच किए जाने की जरूरत है. शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि वह इस समय मामले में केवल नोटिस जारी कर रही है और नवनियुक्त एसआईटी द्वारा की जा रही जांच में हस्तक्षेप नहीं कर रही है. यह मामला जून 2015 से अक्टूबर 2015 के बीच गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं के जवाब में 14 अक्टूबर 2015 को पंजाब के कोटकपूरा में हुई कथित हिंसा से संबंधित है.

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उच्च न्यायालय ने एसआईटी द्वारा कोटकपूरा में 7 अगस्त 2018 (जो लगभग 3 साल के अंतराल के बाद दायर की गई थी) को प्राथमिकी संख्या 129 में दर्ज आरोप पत्र और पुलिस से संबंधित 14 अक्टूबर 2015 की प्राथमिकी संख्या 192 को खारिज कर दिया था. यह फैसला बेअदबी की घटनाओं के विरोध में एकत्र हुए प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग के मामले में सुनाया गया था.

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अदालत ने प्राथमिकी की जांच के लिए पंजाब के तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की एक एसआईटी गठित करने के लिए कुछ निर्देश जारी किए थे. राज्य सरकार ने निर्देशों को चुनौती नहीं दी, लेकिन कुछ निष्कर्षों और टिप्पणियों के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया. इसमें आरोप पत्र में उल्लिखित व्यक्तियों की भूमिका के लिए SIT के निष्कर्षों पर टिप्पणियां शामिल हैं, जो उच्च न्यायालय के समक्ष पक्षकार नहीं थे.

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रंजीत कुमार ने शुरू में प्रस्तुत किया कि पंजाब सरकार ने उस आधार को चुनौती नहीं दी थी, जिसके आधार पर उच्च न्यायालय ने सीआरपीसी की धारा 173 के तहत 7 अगस्त 2018 की प्राथमिकी संख्या 129 और 14 अक्टूबर की प्राथमिकी संख्या 192 में प्रस्तुत की गई रिपोर्टों को खारिज कर दिया था.