नई दिल्ली। लॉकडाउन में बड़ी संख्या में अपने-अपने गृहराज्य की ओर पलायन कर रहे प्रवासी मजदूरों की सुध लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने इन मजदूरों से बस और ट्रेन का किराया न लेते हुए राज्य सरकारों को किराया वहन करने के लिए कहा. इसके अलावा राज्य सरकारों को इन मजदूरों के लिए खाने की व्यवस्था करने को भी कहा. इस मुद्दे पर अब अगली सुनवाई 5 जून को होगी.

प्रवासी मजदूरों की समस्या पर स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्य सरकार से प्रवासी मजदूरों को लेकर नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने सुनवाई की. केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में दलीलें दीं.

तमाम पक्षों की दलील सुनने के बाद बेंच ने प्रवासी मजदूरों से ट्रेन व बस का किराया न लेते हुए राज्य सरकारों को इसे वहन करने, मजदूरों के खाने-पीने की व्यवस्था राज्य सरकारों को करने के साथ-साथ गृह राज्य जाने के लिए बसों-ट्रेनों का इंतजार कर रहे प्रवासी मजदूरों के लिए भी खाने-पीने की व्यवस्था राज्य सरकारों को करने के लिए कहा.

इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए ५ जून की तारीख तय की, इस दौरान दिए गए निर्देश के बाद केंद्र और राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी लेगी. इसके अलावा प्रवासी मजदूरों के लिए उठाए जाने वाले कदमों को लेकर और सुझाव दे सकती है.