सुप्रीम कोर्ट की 9 जस्टिस की संवैधानिक पीठ ने 23 अक्टूबर को 8:1 के अनुपात से औद्योगिक शराब पर केंद्र का अधिकार खत्म कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि औद्योगिक शराब पर कानून बनाने का अधिकार राज्य को है क्योंकि केंद्र को नियामक शक्ति नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने 1990 में सिंथेटिक्स और केमिकल्स मामले में केंद्र के पक्ष में फैसला सुनाया था. संवैधानिक पीठ ने कहा कि राज्य समवर्ती सूची के तहत भी औद्योगिक शराब को विनियमित करने का दावा नहीं कर सकते.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि औद्योगिक अल्कोहल के उत्पादन और सप्लाई को लेकर भी राज्यों को कानून बनाने का अधिकार है, इसलिए “राज्य की शक्ति नहीं छीन सकती”.
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सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हृषिकेश रॉय, एएस ओका, जेबी पारदीवाला, उज्ज्वल भुइयां, मनोज मिश्रा, एससी शर्मा और एजी मसीह ने बहुमत से निर्णय दिया कि राज्यों को उपभोक्ता शराब को नियंत्रित करने का अधिकार है.
GST आने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे याचिकाकर्ता
वहीं, जस्टिस बीवी नागरत्ना ने इस निर्णय पर असहमति जताते हुए कहा कि औद्योगिक शराब को नियंत्रित करने का विधायी अधिकार केवल केंद्र के पास होगा. इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद इंडस्ट्रियल अल्कोहल पर टैक्स लगाने का अधिकार बहुत अहम हो गया है.
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