Supreme Court Hearing On Bulldozer Action: बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाते हुए गाइडलाइंस की ‘लक्ष्मण रेखा’ खींच दी है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विश्वनाथन की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ये आदेश किसी एक राज्य के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए है। कोर्ट ने कहा है कि किसी का घर सिर्फ इस आधार पर नहीं तोड़ा जा सकता कि वह किसी आपराधिक मामले में दोषी या आरोपी है। हम सरकारी शक्तियों के दुरुपयोग को मंजूरी नहीं दे सकते। ऐसा हुआ तो देश में अराजकता आ जाएगी। कोर्ट ने कहा कि अफसर जज नहीं बन सकते। वे तय न करें कि दोषी कौन है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 15 निर्देश भी दिए हैं।

Nitin Gadkari: नितिन गडकरी के हेलीकॉप्टर की EC अधिकारियों ने की जांच, मचा हड़कंप, उद्धव ठाकरे के भी बैग की दो बार की थी जांच

इससे पहले बेंच ने 1 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। तब बेंच ने साफ किया था कि फैसला आने तक देशभर में बुलडोजर एक्शन पर रोक जारी रहेगी।

‘इस्लाम अपनाने को तैयार थे बीआर आंबेडकर…’, कांग्रेस नेता के दावे के बाद मचा बवाल- Bhimrao Ambedkar 

 कोर्ट ने कहा है कि किसी का घर सिर्फ इस आधार पर नहीं तोड़ा जा सकता कि वह किसी आपराधिक मामले में दोषी या आरोपी है। हमारा आदेश है कि ऐसे में प्राधिकार कानून को ताक पर रखकर बुलडोजर एक्शन जैसी कार्रवाई नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश किसी एक राज्य के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए है। कोर्ट ने कहा है कि मौलिक अधिकारों को आगे बढ़ाने और वैधानिक अधिकारों को साकार करने के लिए कार्यपालिका को निर्देश जारी किए जा सकते हैं।

‘…तो पाकिस्तान लाहौर नहीं लखनऊ तक होता, एहसान मानिए मुसलमानों कि…’, पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब का भड़काऊ बयान- Mohammad Adeeb 

फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि शक्ति के मनमाने प्रयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती। जब नागरिक ने कानून तोड़ा है तो अदालत ने राज्य पर कानून और व्यवस्था बनाए रखने और उन्हें गैरकानूनी कार्रवाई से बचाने का दायित्व डाला है। इसका पालन करने में विफलता जनता के विश्वास को कमजोर कर सकती है और अराजकता को जन्म दे सकती है। हालांकि व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करना महत्वपूर्ण है संवैधानिक लोकतंत्र को कायम रखते हुए हमने माना है कि राज्य सत्ता के मनमाने प्रयोग पर लगाम लगाने की जरूरत है, ताकि व्यक्तियों को पता चले कि उनकी संपत्ति उनसे मनमाने ढंग से नहीं छीनी जाएगी।

बड़ी खबरः फिर चेक किया उद्धव ठाकरे का बैग और हेलिकॉप्टर, कल भी हुई थी जांच, भड़की शिवसेना ने दे दिया बीजेपी को अल्टीमेटम- Uddhav Thackeray

इन नियमों के तहत नोटिस दिया जाएगा

कोर्ट के आदेश के मुताबिक बुलडोजर एक्शन को लेकर कम से कम 15 दिन की मोहलत दी जानी चाहिए। नोडिल अधिकारी को 15 दिन पहले नोटिस भेजना होगा। नोटिस विधिवत तरीके से भेजा जाना चाहिए। यह नोटिस निर्माण स्थल पर चस्पाना होगा। इस नोटिस को डिजिटल पोर्टल पर डालना होगा। कोर्ट ने इसके लिए तीन महीने के भीतर पोर्टल बनाने को कहा है। पोर्टल पर इन नोटिसों का जिक्र करना जरूरी होगा।

Jharkhand VIP Candidate: पहले चरण में पूर्व सीएम चंपई सोरेन समेत चार पूर्व मुख्यमंत्री के रिश्तेदार भी मैदान में, Lalluram.Com पर पढ़िए वीआईपी सीटों का हाल

कोर्ट ने कहा कि कानून की प्रकिया का पालन जरूरी है। सत्ता का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं होगा। अधिकारी अदालत की तरह काम नहीं कर सकते। प्रशासन जज नहीं हो सकता। किसी की छत छीन लेना अधिकारों का हनन है। कोर्ट ने फैसले में साफ कहा है कि हर जिले का डीएम अपने क्षेत्राधिकार में किसी भी संरचना के विध्वंस को लेकर एक नोडल अधिकारी को नियुक्त करेगा। यह नोडल अधिकारी इस पूरी प्रक्रिया को सुनिश्चित करेगा कि संबंधित लोगों को नोटिस समय पर मिले और इन नोटिस पर जवाब भी सही समय पर मिल जाए। इस तरह किसी स्थिति में बुलडोजर की प्रक्रिया इसी नोडल अधिकारी के जरिए होगी।

फोटो फ्रेम में आ रहे कार्यकर्ता को पूर्व केंद्रीय मंत्री ने मारी लात, देखें VIDEO- BJP Leader Kicks Man

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H