हेमंत शर्मा, इंदौर। देश के सर्वोच्च न्यायालय और मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में फर्जी हलफनामे पेश करने के मामले में इंदौर पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने झूठे हलफनामे मामले में अब इंदौर पुलिस कमिश्नर को भी पार्टी बनाया है। उन्हें विस्तृत जवाब के साथ मंगलवार को हलफनामा पेश करने का आदेश दिया है।

दरअसल, मामला चंदन नगर थाना क्षेत्र के एक आरोपी की जमानत याचिका से जुड़ा है। जिसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट में लगी जमानत याचिका में राज्य सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे में आरोपी के खिलाफ आठ आपराधिक प्रकरणों का दावा किया गया था। जिनमें बलात्कार का केस भी शामिल था। 

हालांकि, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने रिकॉर्ड की जांच कराई तो यह जानकारी पूरी तरह गलत निकली और आरोपी को जमानत दे दी गई। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में फर्जी हलफनामे पेश करने के चलते इंदौर के चंदन नगर थाने के प्रभारी इंद्रमणि पटेल और क्षेत्रीय एडिशनल डीसीपी दिशेष अग्रवाल पर कड़ी टिप्पणी की है। वहीं सुप्रीम कोर्ट की जांच में सामने आया कि जिन मामलों का हवाला दिया गया, उनमें से चार में आरोपी का नाम ही नहीं था। साथ ही जिस बलात्कार के केस का उल्लेख किया गया था, वह वास्तव में किसी और व्यक्ति के खिलाफ आर्म्स एक्ट का प्रकरण था। 

इस गंभीर चूक के लिए, शीर्ष अदालत ने पहले एडिशनल डीसीपी दिशेष अग्रवाल और चंदन नगर टी आई इंद्रमणि पटेल को कड़ी फटकार लगाई और उन्हें व्यक्तिगत रूप से 9 दिसंबर को सुप्रीम अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया है। अब, कोर्ट ने इंदौर पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार सिंह को भी जवाबदेह बनाते हुए उनसे यह स्पष्ट करने को कहा है कि ADCP और TI पर क्या कार्रवाई की गई है और गलत तथ्य अदालत तक कैसे पहुंचे। इस मामले ने पुलिस विभाग की विश्वसनीयता पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया है और 9 दिसंबर को सभी अधिकारियों को अपना पक्ष रखने के लिए अदालत में पेश होना होगा।

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H