अशोका यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद(Ali Khan Mahmoodabad) ने सुप्रीम कोर्ट (Suprem Court) का रुख किया है. उन्हें ऑपरेशन सिंदूर के संबंध में सोशल मीडिया(Social Media) पर एक पोस्ट करने के बाद रविवार, 18 मई, 2025 को गिरफ्तार किया गया. इस मामले में अली खान की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने पेशी की, जिसे मुख्य न्यायाधीश भूषण रामाकृष्ण गवई के समक्ष रखा गया. CJI गवई ने मामले की सुनवाई एक-दो दिन में करने का आश्वासन दिया है.

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अशोका यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर और राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए सहमति दी है. प्रोफेसर महमूदाबाद को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से संबंधित सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणियों के कारण हरियाणा पुलिस ने 18 मई को गिरफ्तार किया था. इस मामले को वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किया.

प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने एसोसिएट प्रोफेसर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलीलों पर ध्यान दिया और कहा कि याचिकाओं की सुनवाई मंगलवार या बुधवार को की जाएगी. सिब्बल ने तर्क किया कि उनके मुवक्किल को देशभक्ति के बयान देने के कारण गिरफ्तार किया गया है और उन्होंने मामले को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया. प्रधान न्यायाधीश ने इस पर कहा कि इसे कल या परसों सूचीबद्ध किया जाएगा.

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प्रोफेसर महमूदाबाद की गिरफ्तारी हरियाणा के बीजेपी युवा मोर्चा के महासचिव योगेश जठेरी की शिकायत के आधार पर हुई. इसके अतिरिक्त, हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया द्वारा भी उनके खिलाफ एक अलग प्राथमिकी दर्ज कराई गई. आयोग ने आरोप लगाया कि महमूदाबाद की टिप्पणियां भारतीय सशस्त्र बलों की महिला अधिकारियों, विशेषकर कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह, के प्रति अपमानजनक थीं और इससे सांप्रदायिक सद्भाव में बाधा उत्पन्न हो सकती है.

महमूदाबाद ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की प्रेस ब्रीफिंग में महिला अधिकारियों की भागीदारी को “प्रतीकात्मक” करार दिया, लेकिन यह भी कहा कि यदि जमीनी हकीकत में बदलाव नहीं आया, तो यह केवल एक दिखावा होगा. उन्होंने दक्षिणपंथी टिप्पणीकारों से अपील की कि वे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ होने वाली हिंसा, जैसे मॉब लिंचिंग और अवैध बुलडोजिंग, के पीड़ितों के लिए भी उतनी ही मजबूती से आवाज उठाएं.

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अशोका यूनिवर्सिटी के फैकल्टी एसोसिएशन ने इस कार्रवाई को निराधार बताते हुए प्रोफेसर की तुरंत रिहाई की मांग की है. इस गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कई राजनीतिक नेताओं, शिक्षाविदों और कार्यकर्ताओं ने भी अपनी आवाज उठाई है, जिनमें AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और CPI(M) की नेता सुभाषिणी अली शामिल हैं.