नई दिल्ली। सीनियर सिटीजन को रेल किराये में मिलने वाली छूट के बहाल करने से सुप्रीम कोर्ट ने पल्ला झाड़ लिया है. जस्टिस एसके कॉल और जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने इस संबंध में दायर याचिका को खरिज करते हुए कहा कि इस बारे में उनका (कोर्ट) दिशा-निर्देश जारी करना उचित नहीं है. इस पर सरकार को फैसला लेना होगा.

याचिकाकर्ता एमके बालाकृष्णन ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि बुजुर्गों को किराये में छूट देना सरकार का कर्तव्य है. इस पर बेंच ने कहा कि संविधान के आर्टिकल 32 के तहत कोर्ट के लिए याचिका के मुताबिक सरकार को आदेश जारी करना उचित नहीं होगा. बेंच ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों की जरुरतों को ध्यान में रखते हुए और और इसके वित्तीय असर के चलते इस मुद्दे पर सरकार को फैसला लेना होगा. इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका को खारिज दी.

बता दें कि 20 मार्च 2020 से कोविड-19 महामारी के समय से ही सीनियर सिटीजन को ट्रेन के किराए में मिलने वाली छूट केंद्र सरकार ने खत्म कर दी थी, जिसे अब तक बहाल नहीं किया गया है. हाल ही में संसदीय स्थाई समिति ने वरिष्ठ नागरिकों को किराए में छूट के लिए सिफारिश की है, लेकिन सरकार रेल किराये में छूट को फिर से बहाल करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है.

इसके पहले रेल मंत्री ने लोकसभा में कहा थआ कि 2019-20 में सीनियर सिटीजन को पैसेंजर फेयर में छूट दिए जाने से रेलवे को 1667 करोड़ रुपये राजस्व से हाथ धोना पड़ा था. उन्होंने कहा कि 2019-20 में पैसेंजर्स टिकट पर रेलवे को सब्सिडी के तौर पर 59000 करोड़ रुपए खर्च करना पड़ा है. रेल में सफऱ करने वाले हर व्यक्ति पर सरकार औसतन 53 फीसदी सब्सिडी देती है, और ये सब्सिडी सभी पैसेंजरों को दिया जा रहा है.

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