अमृतसर. पंजाब में आज 21 दिसंबर को अपने तय समय पर वोटिंग शुरू हुई, इस पर लोग के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई थी. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय निकाय चुनावों पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया. हालांकि, चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया गया है. इस मामले में शिरोमणि अकाली दल, बीजेपी और कांग्रेस की ओर से याचिका दायर की गई थी.

याचिका में आरोप लगाया गया था कि नामांकन के दौरान पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में परेशान किया गया और लोगों को नामांकन दाखिल करने की अनुमति भी नहीं दी गई. याचिकाकर्ताओं ने राज्य में कई जगहों पर नामांकन के दौरान परेशान किए जाने के वीडियो और अन्य रिकॉर्ड हाई कोर्ट में जमा करवाए थे.


इस विवाद की शुरुआत


इस मुद्दे पर बीजेपी ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. आशंका जताई गई थी कि जिस तरह पंचायत चुनावों के दौरान गुंडागर्दी हुई थी, उसी तरह नगर निगम चुनावों में भी ऐसा हो सकता है. उस समय अदालत ने चुनाव आयोग को पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराने का निर्देश दिया था.


हाई कोर्ट ने कहा था कि चुनाव अधिसूचना जारी करने से पहले इस बारे में सूचित किया जाए. इसके बाद चुनाव आयोग ने याचिकाकर्ता को पत्र लिखकर जानकारी दी कि जहां-जहां चुनाव होंगे, वहां पहले दिन से ही वीडियोग्राफी कराई जाएगी. यह सिलसिला चुनाव परिणाम घोषित होने तक जारी रहेगा.


मामला फिर से अदालत पहुंचा


इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने मानहानि याचिका दायर की. इसमें बाघा पुराना, माछीवाड़ा और पटियाला समेत कई जगहों से वीडियो और तथ्य पेश किए गए. बताया गया कि पुलिस की मौजूदगी में कई स्थानों पर परेशान किया गया. इसके बाद डीजीपी और अन्य अधिकारी पेश हुए. टिप्पणी करते हुए अदालत ने कहा कि यह हिंसा है. ऐसी स्थिति में चुनाव प्रक्रिया को रद्द क्यों न किया जाए? साथ ही उन्हें जवाब देने के लिए कहा गया. दूसरी ओर, यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा. अब सुप्रीम कोर्ट ने इन चुनावों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है.