नई दिल्ली . सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को अतिरिक्त मुआवजा देने से मंगलवार को इनकार कर दिया. कोर्ट ने इस संबंध में यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन की उत्तराधिकारी कंपनियों से अतिरिक्त 7,844 करोड़ रुपये की मांग के लिए केंद्र की उपचारात्मक याचिका खारिज कर दी.

5 जजों की बेंच की तरफ से साझा फैसला पढ़ते हुए जस्टिस कौल ने कहा, “हमारे विचार से मुआवजा राशि पर्याप्त थी. अगर सरकार को ज़्यादा मुआवजा ज़रूरी लगता है तो उसे खुद देना चाहिए था. ऐसा न करना सरकार की लापरवाही थी. समझौते को 3 दशक से भी ज़्यादा समय बीत जाने के बाद कंपनी को नए सिरे से भुगतान के लिए नहीं कहा जा सकता.”

जमा राशि इस्तेमाल करें

अदालत ने कहा, पीड़ितों के लिए रिजर्व बैंक के पास जमा 50 करोड़ की राशि का इस्तेमाल पीड़ितों के लंबित दावों को पूरा करने के लिए किया जाए. साथ ही कहा, अतिरिक्त मुआवजे के लिए केंद्र के आग्रह का कोई कानूनी आधार नहीं बनता.

गौरतलब है कि 1984 में 2 और 3 दिसंबर की रात को हुए गैस रिसाव से 3,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और 1.02 लाख लोग इससे प्रभावित हुए थे. केंद्र सरकार लगातार इस बात पर जोर देती रही है कि 1989 में तय किए गए मुआवजे के समय इंसानों की मौतों, उन पर रोगों के कारण पड़ने वाले बोझ और पर्यावरण को हुए वास्तविक नुकसान की गंभीरता का ठीक से आकलन नहीं किया जा सका था. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को यूसीसी से ज्यादा मुआवजे की मांग वाली केंद्र सरकार की याचिका पर केंद्र से सवाल किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार 30 साल से अधिक समय के बाद कंपनी के साथ हुए समझौते को फिर से तय करने का काम नहीं कर सकती है.