पटना। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। ‘रेलवे में नौकरी के बदले जमीन’ घोटाले में उनके खिलाफ CBI द्वारा दर्ज FIR को रद्द कराने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। लालू की यह मांग भी नामंजूर कर दी गई कि ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर 12 अगस्त तक रोक लगाई जाए।

अस्थायी राहत जरूर दी है

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि FIR को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में पहले ही सुनवाई लंबित है, इसलिए ट्रायल पर रोक का कोई आधार नहीं बनता। हालांकि, कोर्ट ने लालू को निजी पेशी से अस्थायी राहत जरूर दी है।

क्या है मामला?

यह मामला 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू यादव रेलमंत्री थे। CBI का आरोप है कि इस दौरान उन्होंने बिना विज्ञापन पटना के कुछ लोगों को रेलवे की ग्रुप-डी नौकरियां दिलाईं और बदले में उनसे जमीनें अपने परिवार या उनसे जुड़ी कंपनी AK Infosystems के नाम करवा लीं।

आरोपी बनाया गया है

CBI ने 2022 में इस मामले में FIR दर्ज की, जिसके बाद यह घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया। FIR में लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटियों समेत कई अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया है।

अब तक की कानूनी प्रक्रिया

29 मई 2025 दिल्ली हाई कोर्ट ने भी लालू यादव की याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें FIR रद्द करने और ट्रायल रोकने की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा कि वे अपनी दलीलें ट्रायल कोर्ट में रखें।

30 जुलाई 2025: सुप्रीम कोर्ट ने भी

ट्रायल पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट की सुनवाई ट्रायल को निष्प्रभावी नहीं बनाती।
लालू की ओर से यह दलील दी गई थी कि CBI ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17A के तहत जरूरी अनुमति नहीं ली, जिससे पूरी जांच अवैध हो जाती है। लेकिन अदालतों ने इस तर्क को ट्रायल के दौरान उठाने योग्य माना।

मामले की मुख्य बातें एक नजर में


लैंड फॉर जॉब घोटाला: नौकरी के बदले जमीन देने का आरोप

CBI जांच: 2022 में FIR दर्ज, लालू और उनके परिजनों के नाम

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: ट्रायल जारी रहेगा, रोक से इनकार

निचली अदालत की प्रक्रिया: आरोप तय करने की कार्यवाही शुरू

RJD के लिए मुश्किलें बढ़ीं

यह मामला 2025 बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले RJD के लिए बड़ा सियासी संकट बनकर उभरा है। लालू परिवार की छवि और विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। दूसरी ओर नीतीश कुमार का BJP के साथ गठबंधन, और प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी से RJD के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगने की आशंका भी है।

राबड़ी देवी और मीसा भारती जैसे परिवार के प्रमुख चेहरों पर भी कानूनी दबाव बना है। ऐसे में लालू परिवार की चुनावी रणनीति और प्रचार अभियान पर इस केस का सीधा असर पड़ सकता है।

आगे क्या?

अब इस मामले में अगली सुनवाई 12 अगस्त 2025 को दिल्ली हाई कोर्ट में होगी। वहीं, ट्रायल कोर्ट में आरोप तय करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जो आने वाले समय में RJD के लिए न केवल कानूनी, बल्कि सियासी तौर पर भी गंभीर चुनौती बन सकती है।