सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से झारखंड सरकार (Jharkhand Government) को बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने BJP सांसद निशिकांत दुबे समेत 28 नेताओं के खिलाफ दायर की गई सोरेन सरकार की याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने बीजेपी नेताओं को राहत देते हुए झारखंड हाईकोर्ट (High Court) के द्वारा FIR निरस्त करने के फैसले को बरकरार रखा है. BJP नेता निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) समेत अन्य नेताओं पर 11 अप्रैल 2023 को रांची (Ranchi) के सचिवालय प्रदर्शन के दौरान एफआईआर दर्ज की गई थी.

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इससे पहले 14 अगस्त को इस मामले में सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था, जिसमें निशिकांत दुबे, बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा सहित 28 भाजपा नेताओं को राहत देते हुए पुलिस द्वारा दर्ज की एफआईआर को निरस्त कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली झारखंड सरकार की याचिका (एसएलपी) सोमवार को खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि विरोध प्रदर्शन के दौरान धारा 144 का दुरुपयोग होता ही है.

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बता दें कि साल 2023 में झारखंड में भाजपा की ओर से बिगड़ती कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के विरोध में मार्च का आयोजन किया गया था. इसमें पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। वॉटर कैनन का इस्तेमाल भी किया गया और लाठीचार्ज भी किया था.

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सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जवल भुइयां की बेंच ने इस एसएलपी की सुनवाई के दौरान, देश में विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए पुलिस-प्रशासन की ओर से बार-बार दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 का इस्तेमाल किए जाने पर तीखीं टिप्पणी की है.

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पीठ ने कहा, ‘एक सामान्य प्रवृत्ति बन गई है कि कोई विरोध प्रदर्शन हो रहा है, तो उसे रोकने के लिए सीआरपीसी की धारा 144 का आदेश जारी कर दिया जाता है. इससे गलत संदेश जाएगा. यदि कोई प्रदर्शन करना चाहता है तो धारा 144 लगाने की आवश्यकता क्या है? यह तो धारा 144 का दुरुपयोग है. 

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