सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि अखबारों में खबरें आईं कि पटाखों पर प्रतिबंधों को कठोरता से लागू नहीं किया गया था, जिससे ऐसा लगता था कि प्रतिबंधों को कड़ाई से लागू नहीं किया गया था.

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शीर्ष अदालत ने कहा कि हमें कुछ ऐसा करने की जरूरत है ताकि अगले साल दिवाली के दौरान पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के अदालती आदेश का उल्लंघन न हो पाए. शीर्ष अदालत ने पटाखा जलाने वालों के खिलाफ भी कड़े रुख का संकेत दिया.

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि पटाखों पर प्रतिबंधों को लागू करने के लिए दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस आयुक्त ने सख्त कार्रवाई की जरूरत है, जैसे परिसरों को सील करना. अदालत ने दोनों को एक हफ्ते की मोहलत दी.

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शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान दिल्ली एनसीआर के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं पर भी चर्चा की. सर्वोच्च अदालत ने पंजाब और हरियाणा सरकारों से अक्टूबर के अंतिम दस दिनों में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि की घटनाओं पर प्रतिक्रिया मांगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस दिवाली में प्रदूषण को लेकर क्या किया गया है. इन पहलुओं पर कोर्ट 14 नवंबर को सुनवाई करेगी.

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केंद्र सरकार ने पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट से पूछा था कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CQM) अधिनियम के तहत पराली जलाने पर जुर्माने से संबंधित प्रावधानों को लागू क्यों नहीं किया जा रहा है? सरकार ने कहा कि CQM अधिनियम के तहत पराली जलाने पर जुर्माने से संबंधित दिशानिर्देशों को 10 दिन में जारी किया जाएगा. केंद्र ने शीर्ष अदालत से भी कहा था कि एक निर्णायक अधिकारी नियुक्त किया जाएगा और कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.

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कई इलाकों में 400 पार पहुंचा AQI

दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, जो दिवाली के बाद और बढ़ा है. कई इलाकों में एक्यूआई 400-500 के बीच दर्ज किया गया है, जिससे लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित होता है. सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के लिए पहले ही दिशा-निर्देश जारी किए हैं, लेकिन इसके बाद भी प्रदूषण में कोई कमी नहीं हुई है.

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