लखनऊ. सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को आगाह किया कि पर्याप्त आधार के बिना राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाने से राजनीतिक प्रतिशोध के आरोप लगते हैं. यह कहते हुए शीर्ष अदालत ने समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता यूसुफ मलिक के खिलाफ लगाए गए रासुका के आरोप को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने सपा नेता यूसुफ मलिक की तत्काल रिहाई के आदेश दिए.
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने रामपुर जेल में बंद युसूफ मलिक की तत्काल रिहाई का आदेश देते हुए उन पर लगी रासुका को हटा दिया है. दो जजों की पीठ ने योगी सरकार को नगरपालिका कर वसूली मामले में युसूफ मलिक के खिलाफ एनएसए लगाने के लिए कड़ी फटकार लगाई थी. दो सदस्यीय पीठ ने युसूफ मलिक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा, ‘राजस्व बकाया की वसूली के लिए रासुका लगाने से हमें आश्चर्य हो रहा है. हमारा मानना है कि यह स्पष्ट रूप से दिमाग नहीं लगाने का मामला लगता है, इसलिए हम रासुका को रद्द करते हैं और योगी सरकार को निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता को तुरंत रिहा किया जाए.’
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार द्वारा पिछली सुनवाई पर अदालत के सुझाव के बावजूद युसूफ मलिक पर लगाई गई रासुका नहीं हटाने पर नाराजगी भी व्यक्त की. दो सदस्यीय पीठ ने फैसले के दौरान कहा, ‘क्या यह एनएसए का मामला है? यही कारण है कि राजनीतिक प्रतिशोध के आरोप विपक्षी दलों द्वारा सरकारों पर लगाए जाते हैं. पहले तो योगी सरकार को खुद ही रासुका को हटा देना चाहिए था, मगर आगाह करने के बावजूद ऐसा न किया जाना न्यायपालिका पर सवाल उठाना है.
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राज्य सरकार के वकील की जिरह के दौरान जजों ने निर्णय सुनाते हुए फटकार लगाई, ‘हमने योगी सरकार को पिछली तारीखों पर आगाह किया था, लेकिन आपने इसे वापस नहीं लिया. हमने केवल रासुका को खारिज किया है और अपने आदेश में और कुछ नहीं कहा है. इस तरह के मामलों के कारण ही सभी तरह के राजनीतिक आरोप लगाए जाते हैं.’ वहीं सुप्रीम कोर्ट में सपा नेता युसूफ मलिक की पैरवी करने वाले वरिष्ठ वकील एसडब्ल्यूए कादरी ने पीठ से कोर्ट के आदेश को तुरंत प्रसारित करने का अनुरोध किया, ताकि मलिक को रिहा किया जा सके.
बता दें कि राजस्व बकाया की वसूली के लिए योगी सरकार द्वारा रासुका लगाए जाने के खिलाफ सपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद आजम खान के करीबी सहयोगी युसूफ मलिक ने जनवरी में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इसमें शिकायत की गई थी कि अप्रैल, 2022 में राज्य सरकार द्वारा रासुका लगाने के खिलाफ उनकी याचिका को कई बार आग्रह के बाद भी इलाहाबाद हाईकोर्ट नहीं सुन रहा है. इस मामले में 27 जनवरी को पीठ ने कहा था कि वह आमतौर पर हाईकोर्ट के समक्ष सुनवाई में देरी के खिलाफ रिट याचिका पर विचार नहीं करती है, लेकिन तथ्य काफी ठोस हैं इसलिए हम नोटिस जारी कर रहे हैं.
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