Supreme Court on PMLA Act: छत्तीसगढ़ के कथित शराब घोटाला से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने PMLA (Prevention of Money Laundering) कानून पर चिंता जताई है. ED की कार्रवाई पर सवाल करते हुए SC ने कहा कि, जिस तरह दहेज प्रताड़ना कानून (498A) का दुरुपयोग हुआ, वैसा ही अब PMLA में हो रहा है. कोर्ट ने छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के शराब घोटाले से मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़े पूर्व IAS अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी की जमानत याचिका की फैसला करते हुए यह तल्ख टिप्पणी की है.

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बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में छत्तीसगढ़ के कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अभय ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने पूर्व आईएएस अधिकारी एपी त्रिपाठी को जमानत देते हुए कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग कानून (PMLA) का उपयोग किसी को हमेशा जेल में रखने के लिए नहीं किया जा सकता.

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पीठ ने कहा कि जिस तरह दहेज प्रताड़ना कानून (498A) का अतीत में दुरुपयोग हुआ है, अब ठीक उसी तरह अब PMLA कानून का भी दुरुपयोग हो रहा है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि जब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इस मामले में सेशन कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने के फैसले को रद्द कर दिया था, तो फिर एपी त्रिपाठी को जेल में रखने का कोई औचित्य नहीं है.

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जानें क्या है PMLA कानून

बता दें कि मनी लॉन्ड्रिंग कानून (PMLA) के तहत आरोपियों की जमानत मुश्किल हो जाती है. PMLA कानून में ‘ट्विन कंडीशन’ लागू होती है. इसका मतलब यह है कि आरोपी को तब तक जमानत नहीं दी जा सकती जब तक यह साबित न हो जाए कि उसने अपराध नहीं किया और वह आगे किसी अपराध में शामिल नहीं होगा.

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हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ED की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया है. कोर्ट ने कि PMLA का इस्तेमाल राजनीतिक और प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए किया जाने लगा है, जो न्याय प्रक्रिया के लिए सही नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी आरोपी को केवल कानूनी प्रक्रियाओं का सहारा लेकर अनिश्चितकाल तक जेल में नहीं रखा जा सकता.

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