दिल्ली-NCR में हर साल सर्दियों में प्रदूषण से बुरा हाल होता है. सांस से संबंधित बीमारियों का लोगों को सामना करना पड़ता है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से इससे पूर्व की तैयारियों के बारे में जवाब मांगा.

देश की सर्वोच्च अदालत ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण नियंत्रण के लिए गठित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को यह बताने के लिए कहा कि सर्दियों में प्रदूषण में बेतहाशा बढ़ोतरी से कैसे निपटेगा. वह भी ऐसे हालात में जब NCR के राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में पर्याप्त संख्या में कर्मचार नहीं हैं.

शीर्ष अदालत ने दिल्ली, यूपी, पंजाब,हरियाणा और राजस्थान के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की कमी के चलते उन्हें अप्रभावी करार दिया और कहा कि अप्रैल, 2025 तक सभी खाली पदों को भरा जाए. जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह और अभय एस ओका की पीठ ने कहा कि सर्दियां आने वाली हैं. प्रदूषण में बढ़ोतरी पराली जलाने व अन्य कारणों से होगी.

हर साल दिल्ली-NCR में प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्यों को ‌धान की पराली जलाने को प्रमुख कारण बताया जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि जब NCR से संबंधित राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में पर्याप्त संख्या में कर्मचारी नहीं हैं तो समस्या से कैसे निपटा जाएगा. शीर्ष अदालत ने कहा कि इसलिए हम CAQM के अध्यक्ष से मामले की अगली सुनवाई 2 सितंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेश होने का आदेश देते हैं. उन्हें अपनी योजना के बारे में बताना होगा. पीठ ने आश्चर्य व्यक्त किया कि NCR वाले राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में रिक्तियों के कारण प्रतिनिधित्व की कमी से आयोग द्वारा गठित की जाने वाली सुरक्षा और प्रवर्तन पर उप-समिति कैसे काम करेगी.

निर्देश लागू कराना होगा मुश्किल

मामले में न्याय मित्र अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने राज्यों के प्रदूषण बोर्डों में रिक्त पदों के बारे में पीठ को जानकारी दी. उन्होंने कहा कि ऐसे में बोर्डों में कर्मचारियों के कमी के चलते आयोग के निर्देशों को लागू करना मुश्किल होगा.