नई दिल्ली . मरीजों की सर्जरी का सीधा प्रसारण किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार और भारतीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा. इस याचिका में सर्जरी का सीधा प्रसारण किए जाने पर न सिर्फ कानूनी बल्कि नैतिक सवाल भी उठाए गए.

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्र की पीठ ने सरकार और एनएमसी को तीन सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया. दिल्ली निवासी राहुल चौधरी की ओर से दाखिल याचिका में एनएमसी को लाइव सर्जरी के प्रसारण की नियमित निगरानी करने और इस बारे में उचित दिशा-निर्देश बनाने के लिए एक समिति गठित करने का आदेश देने की मांग की गई. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वह इस मुद्दे को एनएमसी पर विचार करने के लिए छोड़ देंगे.

मरीजों के लिए बड़ा खतरा बताया याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने शीर्ष अदालत से कहा कि सर्जरी का सीधा प्रसारण किया जा रहा और कई लोग इसे देखने के साथ सर्जरी करने वाले डॉक्टरों से सवाल भी पूछ रहे हैं. उन्होंने कहा, यह वैसा ही है जैसे विराट कोहली बल्लेबाजी कर रहे हैं और कमेंट्री भी कर रहे हैं. सर्जरी के सीधे प्रसारण से मरीजों के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया है. अधिवक्ता ने एक मरीज की मौत के बारे में प्रकाशित एक खबर का जिक्र किया जिसकी सर्जरी का सीधा प्रसारण किया जा रहा था. पीठ को बताया गया कि कुछ मामलों में, निम्न आर्थिक स्तर से संबंधित लोगों को ऐसा करने के लिए प्रेरित किया जाता है.

याचिका में नैतिक सवाल भी उठाए

याचिका में कहा गया कि विज्ञापन और प्रायोजन सर्जिकल प्रक्रियाओं के सीधे प्रसारण के लिए मुख्य प्रेरणा थे. अधिवक्ता ने कहा कि इस तरह का प्रसारण सूचित सहमति के बारे में गंभीर नैतिक चिंता पैदा करता है क्योंकि मरीजों को शायद ही कभी बताया जाता है कि सर्जन का ध्यान सर्जरी और दर्शकों के बीच विभाजित हो सकता है.