नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में हलाल प्रमाणित उत्पादों के निर्माण, बिक्री, भंडारण और वितरण पर प्रतिबंध लगाए जाने पर उत्तर प्रदेश सरकार के साथ केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. जमीयत उलेमा-ए-महाराष्ट्र और हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने याचिका दायर कर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी अधिसूचना और एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई है. इसे भी पढ़ें : UP STF एक्शन में, एक लाख के इनामी गैंगस्टर विनोद उपाध्याय को एनकाउंटर में मार गिराया
बता दें कि उत्तर प्रदेश में नवंबर 2023 में हलाल सर्टिफिकेट वाले खाद्य उत्पादों पर रोक लगा दी गई थी. सीएम योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार की ओर से इस बाबत जारी आदेश में कहा गया था कि राज्य में अब हलाल सर्टिफिकेट वाले उत्पादों के निर्माण, भंडारण, वितरण और बिक्री को तत्काल प्रभाव से बैन कर दिया गया है.
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दरअसल, यूपी सरकार को लगातार ऐसी शिकायत मिल रही थी कि कुछ कंपनियां रोजमर्रा की जरूरत के उत्पादों को हलाल सर्टिफाइड कर बेच रही हैं. ऐसा खास तरह के उत्पाद की बिक्री बढ़ाने और आर्थिक फायदा पहुंचाने के लिहाज से किया जा रहा है. ऐसे में इस गड़बड़ी को रोकने के लिए यूपी सरकार ने इन पर प्रतिबंध लगा दिया था.
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क्या होता है हलाल सर्टिफिकेशन?
वह प्रोडक्ट जो इस्लामी कानून की आवश्यकता को पूरा करते हैं, उन्हें हलाल-सर्टिफाइड प्रोडक्ट कहा जाता है. हलाल एक अरबी शब्द है जिसका मतलब होता है अनुमति. गौरतलब है कि हलाल सर्टिफिकेशन पहली बार 1974 में वध किए गए मांस के लिए शुरू किया गया था. हालांकि, इससे पहले हलाल सार्टिफिकेशन का कोई रिकॉर्ड नहीं मिलता है.
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