नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को लेकर स्वस्फूर्त सुनवाई करते हुए उनके पक्ष में मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के साथ राज्यों को प्रवासी मजदूरों को 15 दिनों के भीतर अपने घर भेजने के साथ उन पर लॉकडाउन के दौरान लगाए गए केस को वापस लेने का आदेश दिया है.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण, एमआर शाह और वी रामासुब्रमण्यम की पीठ ने केंद्र सरकार और रेलवे को राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों को आग्रह किए जाने के 24 घंटे के भीतर श्रमिक विशेष ट्रेन मुहैया कराने को कहा है. केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि राज्यों की ओर से बचे हुए प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए केवल 171 ट्रेनों की मांग की है.

पीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों से प्रवासी मजदूरों को खाने-पीने की जरूरतों के साथ मूलभूत आवश्यकताओं और रोजगार के लिहाज से कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देने को कहा है. इसके साथ ही राज्यों को केंद्र शासित क्षेत्रों से प्रवासी मजदूर जो अपने घर पहुंच गए हैं, और लॉकडाउन से पहले जो काम किया करते थे, उसकी पूरी सूची प्रदान करने को कहा है. साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों से लॉकडाउन के बाद इन मजदूरों के रोजगार के लिए चलाई जाने वाली योजनाओं की जानकारी देने को कहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने वर्तमान में चल रही योजनाओं की पहचान करने को कहा है, जिनसे इन मजदूरों के रोजगार दिया जा सके, साथ ही ऐसे मजदूरों की सूची तैयार करने को कहा है जो अपने काम में वापस लौटना चाहते हैं, केंद्र और राज्य सरकार से इन मजदूरों के काम पर वापस जाने से पहले काउंसलिंग करने को कहा है.