नई दिल्ली . सुप्रीम कोर्ट ने यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए उठाए जा रहे कदमों की निगरानी के लिए उपराज्यपाल की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित करने के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर रोक लगा दी है. शीर्ष न्यायालय ने एनजीटी के 9 जनवरी 2023 के आदेश के खिलाफ दाखिल दिल्ली सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए यह अंतरिम आदेश दिया.
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मामले में उस व्यक्ति को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है, जिनकी याचिका पर एनजीटी ने उच्च स्तरीय समिति गठित करने का आदेश पारित किया था. करोड़ों खर्च करने और 29 साल की न्यायिक निगरानी के बाद भी यमुना को प्रदूषण मुक्त नहीं किए जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए एनजीटी ने 9 जनवरी को उच्च स्तरीय समिति गठित की थी और उपराज्यपाल से इसकी अध्यक्षता करने का आग्रह किया था.
नोटिस जारी कर जवाब देने का कहा इस मामले में पीठ ने नोटिस जारी कर संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी कर अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है.
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि अगले आदेश तक एनजीटी द्वारा उपराज्यपाल की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित करने के लिए पारित आदेश के क्रियान्वयन पर रोक रहेगी. इससे पहले दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने एनजीटी के आदेश को रद्द करने की मांग की.
सरकार का कहना है कि एनजीटी के आदेश के माध्यम से एलजी को दी गई शक्तियां सरकार के कार्यक्षेत्र में दखलअंदाजी करने की इजाजत देती है. दिल्ली सरकार ने कहा कि यमुना नदी में प्रदूषण के मुद्दे की निगरानी मुख्यमंत्री की ओर से की जानी चाहिए.
गौरतलब है कि एनजीटी का यह आदेश अश्वनी यादव द्वारा दायर एक याचिका पर आया था. इस याचिका में यमुना नदी में बढ़ते प्रदूषण और उपचारात्मक उपाय करने में अधिकारियों की विफलता को उजागर किया गया था.