रायपुर। सुप्रीम कोर्ट ने देशद्रोह कानून पर रोक लगा दी है. अब देशद्रोह से संबंधित कोई भी मामला दर्ज नहीं किया जाएगा. वहीं जो पुराने मामले हैं उनमें भी अब अदालत जाकर राहत की अपील की जा सकती है.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने आज देशद्रोह पर केंद्र सरकार से रिपोर्ट मांगी थी. इस पर सर्वोच्च न्यायालय में आज सुनवाई शुरू हुई. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने आगामी आदेश तक देशद्रोह केस पर रोक लगा दी है. अब इस केस पर अगली सुनवाई जुलाई के तीसरे हफ्ते में होगी.
रोक लगाना ठीक नहीं- तुषार मेहता
जानकारी के मुताबिक केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि इस कानून की समीक्षा होने तक इसके तहत नए मामले दर्ज करने पर रोक लगाना ठीक नहीं होगा. उनका कहना था कि संज्ञेय अपराधों में वरिष्ठ अधिकारी की सिफारिश पर ऐसे मामले दर्ज किए जा सकते हैं. हालांकि अदालत ने केंद्र सरकार की दलीलों को ठुकराते हुए कानून पर रोक लगाने का फैसला दिया.
जमानत अर्जी लगा सकते हैं कैदी
तुषार मेहता ने न्यायलय से कहा कि जहां तक देशद्रोह के विचाराधीन मामलों का सवाल है, हर मामले की गंभीरता अलग होती है. किसी मामले का कनेक्शन आतंकी गतिविधियों से भी हो सकता है और किसी का मनी लॉन्ड्रिंग कनेक्शन भी हो सकता है. अंततः पेंडिग मामले कोर्ट के सामने विचाराधीन होते हैं. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि देशद्रोह मामले में जेल में बंद कैदी जमानत की अर्जी लगा सकते हैं. इस मामले पर अगली सुनवाई जुलाई के तीसरे हफ्ते में होगी.
124A पर पुनर्विचार करने की सलाह
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस कानून की समीक्षा करने को कहा है. साथ ही इसकी धारा 124A पर पुनर्विचार करने की सलाह दी है. इस दौरान समीक्षा की प्रक्रिया पूरी होने तक 124A के तहत नए मामले दर्ज किए जाने पर रोक भी लगा दी है. न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा है कि वे अब आईपीसी के सेक्शन 124A के तहत लोगों के खिलाफ केस दर्ज किए जाने पर रोक लगाएं.
ब्रिटिश काल की धारा को हटाने की मांग
बता दें कि 124A को ही देशद्रोह कानून कहा जाता है. ब्रिटिश दौर के इस कानून को हटाए जाने की अकसर मांग उठती रही है. जिसे लेकर पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी भी लगाई गई थी. इसी पर सुनवाई करते हुए अदालत ने ये फैसला दिया है.
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