नई दिल्ली/लखनऊ. सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में लापरवाह रवैया अपनाने पर यूपी सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि अवमानना प्रक्रिया शुरू किए बिना सरकार निर्देश ही नहीं मानती और यह इनकी आदत बन चुकी है. शीर्ष अदालत की ऐसी टिप्पणी तब आई, जब बीते साल प्रयागराज के एक अस्पताल से बुजुर्ग कोरोना पीड़ित के कथित तौर पर गायब होने के मामले में सुनवाई हो रही थी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 82 वर्षीय कोरोना पीड़ित रामलाल यादव के बेटे की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान 25 अप्रैल को समन जारी किया था. साथ ही रामलाल को 6 मई को न्यायालय में पेश होने का आदेश दिया था और ऐसा न करने पर राज्य के मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री कार्यालय समेत आठ अधिकारियों को पेश होने के निर्देश थे. इस मामले में यूपी सरकार और अधिकारी सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचे थे. सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने यूपी सरकार की तरफ से पक्ष रख रही अतिरिक्त एडवोकेट जनरल (एएजी) गरिमा प्रसाद से कहा कि, पहले आप कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं करते. फिर जब आपके खिलाफ अवमानना की प्रक्रिया शुरू की जाती है तो आप सामने आ जाते हैं. आपके राज्य ने इसे आदत बना ली है.

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सुनवाई के दौरान एएजी गरिमा प्रसाद ने सवाल उठाया कि कोर्ट लापता व्यक्ति को पेश करने को कह रहा है. ऐसे में पीठ ने कहा कि जो व्यक्ति चल नहीं सकता वो कैसे गायब हो गया? तो प्रतिउत्तर में एएजी में कहा कि दो एसआईटी जांच कर रही हैं और पता लगाया जा रहा है कि “क्या गायब व्यक्ति को गैरकानूनी हिरासत में रखा गया था?” ऐसे में जस्टिस कृष्ण मुरारी ने कहा ने कहा कि बुजुर्ग को गायब हुए एक साल होने को हैं. जो चल नही सकता, उसका शरीर अस्पताल से कहां चला गया? वहीं जस्टिस होम कोहली ने कहा कि, “आप परिवार की पीड़ा को समझिए.” तब एएजी ने कहा कि हमने पता लगाया कि उनके शरीर का अन्य शवों में अंतिम संस्कार तो नहीं किया गया? लेकिन वह जांच में सही थे. तो जस्टिस मुरारी ने कहा कि क्या वह हवा में गायब हो गए?