नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली जिमखाना क्लब मामले की सुनवाई के दौरान विभिन्न न्यायाधिकरणों में रिक्तियों पर केंद्र की खिंचाई करते हुए कहा कि न्यायाधिकरणों की देखरेख के लिए कोई अधिकारी नहीं है. नामों की सिफारिश की जाती है, लेकिन कोई नहीं जानता कि उन्हें क्यों नहीं आगे बढ़ाया जाता है. न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और सीटी रविकुमार ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि आप रिक्तियां रखते हैं, ट्रिब्यूनल को चलाने के लिए कोई अधिकारी नहीं है, यही समस्या है. नामों की सिफारिश की जाती है, तो फिर उन्हें मंजूरी क्यों नहीं दी जाती है कोई नहीं जानता .. कोई समयरेखा नहीं है. अब समय हो गया है ट्रिब्यूनल को निष्क्रिय घोषित किया जाए.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मांगा 2 हफ्ते का समय
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली जिमखाना क्लब (डीजीसी) मामले की सुनवाई नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में लगभग समाप्त हो गई है. पीठ ने जवाब दिया कि दूसरे पक्ष को अभी इस मामले में बहस करनी है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इसमें कोई देरी नहीं होगी और मामले को पूरा करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा. न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा कि “ट्रिब्यूनल की दुर्दशा देखें .. हम एक महीने के भीतर न्यायाधिकरण पर इसे करने के लिए कैसे दबाव डाल सकते हैं.”
केंद्र सरकार ने मामले में असहयोग नहीं दिखाया है- सॉलिसिटर जनरल
तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार ने मामले में असहयोग नहीं दिखाया है. पीठ ने मेहता से कहा कि “ट्रिब्यूनल के पास समायोजित करने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है. वादी पीड़ित हैं, आपको भी उन परिणामों को लेना चाहिए.” सुप्रीम कोर्ट ने ये सख्त टिप्पणियां यह जानने के बाद कीं, कि ट्रिब्यूनल रिक्तियों के कारण डीजीसी मामले में सुनवाई पूरी नहीं कर सका.
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