नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को देवास मल्टीमीडिया को झटका देते हुए नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी)के आदेश को बरकरार रखा, जिसने पिछले साल सितंबर में कंपनी को बंद करने के लिए एनसीएलटी के आदेश के खिलाफ देवास मल्टीमीडिया द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया था। एनसीएलटी का यह निर्देश भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स कॉरपोरेशन की याचिका पर आया है। देवास एंट्रिक्स के खिलाफ एक दशक से लंबी कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।

आज न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम की पीठ ने एनसीएलएटी के आदेश को चुनौती देने वाली देवास की याचिका खारिज कर दी। विस्तृत फैसला दिन में बाद में शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा।

एनसीएलटी की बेंगलुरु पीठ ने पिछले साल 25 मई को देवास मल्टीमीडिया को बंद करने का निर्देश दिया था और इस उद्देश्य के लिए एक अस्थायी परिसमापक(लिक्वि डिटर) नियुक्त किया था। एनसीएलएटी ने यह कहते हुए इस आदेश को बरकरार रखा कि यह इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि कंपनी की अपील कानून में चलने योग्य नहीं है। एनसीएलएटी ने आगे कहा कि एंट्रिक्स के साथ देवास का समझौता ‘धोखाधड़ी, गलत बयानी या दबाव के माध्यम से’ था।

एनसीएलटी ने नोट किया था कि देवास को 2005 में एक समझौते में प्रवेश करके बैंडविड्थ प्राप्त करने के लिए एंट्रिक्स कॉपोर्रेशन के तत्कालीन अधिकारियों के साथ मिलकर धोखाधड़ी के मकसद से शामिल किया गया था। केंद्र सरकार ने बाद में समझौते को रद्द कर दिया। देवास मल्टीमीडिया की स्थापना 17 दिसंबर 2004 को हुई थी।