रायपुर. छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाईगर रिजर्व में पकड़कर रखे गये सोनू हाथी को पुनः जंगल में पुनर्वासित करने की मांग को लेकर रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने सर्वोच्च न्यायालय में स्पेशल लीव पिटीशन दायर की है. मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम.खनविलकर तथा न्यायमूर्ति डी.वाय.चन्द्रचूड़ की पूर्ण पीठ ने विगत 9 जनवरी  को आदेशित किया है कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने सोनू हाथी को वापस जंगल में पुनर्वासित किये जाने के संबंध में जो दिशा-निर्देश दिये हैं उनका पालन नहीं किये जाने पर याचिकाकर्ता पुनः हाईकोर्ट जा सकता है. उल्लेखनीय है कि मुख्य वन जीव संरक्षक के आदेश कि सोनू को पकड़कर वापस हाथियों के उचित रहवास में छोड़ा जावे, उक्त आदेश के बावजूद वन विभाग के अधिकारियों ने 1 दिसम्बर 2015 से सोनू हाथी को बंधक बनाकर रखा हुआ है.

गौरतलब है कि लंबे समय तक सोनू हाथी को बंधक बनाकर रखे जाने के कारण छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नितिन सिंघवी की ही याचिका पर जुलाई 2017 में त्रिशुर केरल के कालेज आफ वेटनरी और एलीफेंट साॅइंस के असिस्टेंट प्रोफेसर और प्रोजेक्ट डायरेक्टर (सेन्टर फार स्टडी आफ ऐलीफेंट ) डाॅ. राजीव टी.एस को हाथी की जांच कर रिपोर्ट देने हेतु आदेशित किया था. डाॅ. राजीव टी.एस. ने रिपोर्ट में उल्लेखित किया कि सोनू और बंधक बना कर रखे गये तीन और हाथियों को जंगल में छोड़ा जाना चाहिये और किसी भी हालत में चारों को चेन से बांध कर नहीं रखा जाना चाहिये. परंतु चूंकि इतने लंबे समय से बंधक रखे जाने के कारण सोनू हाथी कुछ हद तक मानव पर आश्रित होकर बंधक में रहने आदी हो गया है, अतः सोनू और अन्य तीनों हाथियों को एक बार में ही सीधे जंगल में ना छोड़कर विशेषज्ञों की निगरानी में ऐसे रेसक्यू सेंटर में रखा जावे, जो हाथियों के ,रहवास क्षेत्र में हो जहां पर सोनू और तीनों हाथी पुनः वन-हाथियों से धीरे-धीरे घुल मिल जावें और अन्तः वापस जंगल में चले जावें.

गौरतलब है कि वन विभाग ने सोनू हाथी के अलावा तीन और वन-हाथियों राजू, सिविल बहादुर, और लाली को अचानकमार में बन्धक बना रखा है. सोनू हाथी के पुनर्वास के लिये तो वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया, जिसने अरूणाचल प्रदेश और असम में कई बन्धक हाथियों को सफलतापूर्वक जंगलों में पुनर्वासित किया है, ने जिम्मेदारी ली थी जिसके तहत सोनू हाथी को रेडियो काॅलर लगाकर दो साल मानीटरिंग की जावेगी. डाॅ. राजीव टी.एस की रिपोर्ट प्राप्त होने के उपरांत याचिका का अंतिम निराकरण करते हुए 18 अगस्त 2017 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने आदेशित किया कि कोर्ट डाॅ. राजीव टी.एस की रिपोर्ट को स्वीकारता है और यह निर्णय कि सोनू हाथी को कब जंगल मैं पुनर्वासित किया जावे, वन विभाग की बुद्धिमत्ता पर छोडता है. कोर्ट ने कहा कि वन विभाग अपने कर्तव्य और उत्तरदायित्व का निर्वाह जवाबदारी से करेगा. छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने शासन और प्रधान मुख्य वन सरंक्षक को आदेशित किया था कि सोनू हाथी के समान घटना दुबारा नहीं हो इसलिये उचित निर्देश भी जारी करें.