नई दिल्ली। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लोगों को दाखिले और सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण बरकरार रहेगा. सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों के बेंच ने इस सुविधा को प्रदान करने वाले 103वें संविधान संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए 3-2 से अहम फैसला सुनाया है. इसे भी पढ़ें : भाजपा नेता के पुत्र के नशे में किए हंगामे पर कवासी लखमा का तंज, कहा- भाजपा के लोग शुरू में जय श्री राम बोलते हैं, और शाम को दो-दो पैग लगाते हैं…
संविधान में निर्धारित 50 फीसदी से अधिक आरक्षण होने की वजह से EWS आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों के बेंच ने सोमवार को सुनवाई की. बेंच के जज दिनेश माहेश्वरी, बेला त्रिवेदी और जेबी पारदीवाला ने EWS संशोधन पर जहां सहमति जताई, वहीं मुख्य न्यायाधीश उदय यू ललित और जस्टिस रवींद्र भट ने इस पर असहमति व्यक्त की है. इस तरह से EWS संशोधन को बरकराकर रखने के पक्ष में 3-2 से फैसला हुआ.
27 सितंबर को सुरक्षित रख लिया था फैसला
शीर्ष अदालत ने सुनवाई में तत्कालीन अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सहित वरिष्ठ वकीलों की दलीलें दी थी. वकीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 27 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था कि क्या EWS आरक्षण ने संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन किया है.
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