दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में बढ़ते प्रदूषण के बीच निर्माण कार्यों पर रोक लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने दिल्ली में सभी निर्माण कार्यों को रोकने के सुझाव को ठुकरा दिया और कहा कि इस तरह के कदम से बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि निर्माण पर रोक लगाने के बजाय दीर्घकालिक समाधान पर ध्यान देना ज़रूरी है। कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण की स्थिति के अनुसार, कंट्रोल रूम और CAQM (Commission for Air Quality Management) उचित कदम उठाते हैं, और उसी आधार पर कार्रवाई की जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने कहा, “हम ऐसा नहीं कर सकते।” उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि दिल्ली में विभिन्न राज्यों से आने वाले बड़ी संख्या में लोगों की आजीविका इन निर्माण गतिविधियों पर निर्भर करती है।” कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि निर्माण पर रोक लगाने के बजाय दीर्घकालिक उपायों पर ध्यान देना ज़रूरी है, और प्रदूषण की स्थिति के अनुसार CAQM उचित कदम उठाता है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने कहा, “केंद्र सरकार को वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए दीर्घकालिक समाधान लाना होगा।” उन्होंने आगे कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में पराली जलाने की घटनाओं को नियंत्रित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।” CJI ने यह भी रेखांकित किया कि केवल निर्माण कार्यों पर रोक लगाने जैसी तात्कालिक कार्रवाई पर्याप्त नहीं है, बल्कि क्षेत्रीय स्तर पर प्रदूषण के स्रोतों को नियंत्रित करना और दीर्घकालिक रणनीतियों पर काम करना जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया है कि 13 नवंबर 2025 की CAQM रिपोर्ट में दिए गए पराली जलाने पर रोक संबंधी निर्देशों को प्रभावी रूप से लागू कराया जाए। कोर्ट ने कहा कि वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार को दीर्घकालिक समाधान खोजने हेतु उपयुक्त प्रतिक्रिया देने के लिए एक दिन का समय दिया जाता है। इस मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर 2025 को होगी।
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