पेड़ाें की कटाई से संबंधित एमसी मेहता (MC Mehta) मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने बड़ी टिप्पणी की. पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर नाराजगी जाहिर करते हुए कोर्ट ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों का काटा जाना इंसानों की हत्या से भी बदतर है. सर्वोच्च न्यायालय ने जस्टिस अभय एस ओका ने सुनवाई के दौरान यह तल्ख टिप्पणी की.

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इससे पहले कोर्ट ने बीते फरवरी को वन संरक्षण कानून 2023 (Forest Conservation Amendment Act, 2023) में संशोधन से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए देशभर के वन क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का फैसला किया था.

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मंगलवार (25 मार्च) को सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों की कटाई से संबंधित एमसी मेहता मामले में सुनवाई की. इससे पहले कोर्ट ने वन संरक्षण कानून 2023 में संशोधन से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई के दौरान कहा था कि जब तक संशोधनों की पूरी समीक्षा नहीं हो जाती है तब तक केंद्र और राज्य सरकारें किसी भी प्रकार की कटाई की अनुमति नहीं दे सकतीं है.

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सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी थी कि 2023 का संशोधन वन संरक्षण को और मजबूत करने के लिए किया गया है. याचिकाकर्ताओं ने का कहना था कि इन संशोधनों से विकास परियोजनाओं के नाम पर जंगलों में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई बढ़ सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की दलील को मानते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को कोई भी नया कदम उठाने से रोक दिया था.

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पर्यावरण विशेषज्ञों ने फैसले का किया स्वागत

पर्यावरण विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसला का स्वागत किया था और इसे वन संरक्षण के लिए ऐतिहासिक कदम बताया था. विशेषज्ञों का कहना था कि इस फैसले से देशभर में हरे-भरे जंगलों को बचाने में मदद मिलेगी और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाएगा.

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बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने ताज ट्रेपेजियम प्राधिकरण को संरक्षित क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया था. दरअसल कोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि ताज ट्रेपेजियम क्षेत्र में आने वाली जमीन पर पेड़ों की कटाई की गई थी

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