नई दिल्ली . सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संविधान पीठ के फैसले से केंद्र सरकार और माइनिंग कंपनियों को बड़ा झटका लगा है. देश की शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया है कि खनिज संपदा पर 1 अप्रैल 2005 से राज्य सरकारें ‘retrospective’ Tax ले सकेंगी.
इससे पहले केंद्र और माइनिंग कंपनियों का कहना था कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तारीख के बाद से राज्यों को Tax लेना होगा. यह मामला सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में पहुंचा. 9 जजों की संविधान पीठ ने टैक्स की अवधि 1 अप्रैल 2005 से लागू करने का फैसला सुनाया. हालांकि इस टैक्स पर कोई ब्याज या जुर्माना नहीं लगेगा. अब 1 अप्रैल 2005 से 12 साल की अवधि में राज्य टैक्स ले सकेंगे. टैक्स के भुगतान का समय 1 अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाले वित्त वर्ष से 12 वर्षों की अवधि में किश्तों में देना होगा.
राज्यों द्वारा माइनिंग पर टैक्स और रॉयल्टी लगाने की कैपासिटी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बुधवार को TATA स्टील लिमिटेड, MOIL लिमिटेड और NMDC लिमिटेड के शेयरों में गिरावट देखी गई. सुप्रीम कोर्ट ने खनिज समृद्ध राज्यों के लिए वित्तीय राहत वाला फैसला सुनाते हुए उन्हें अपनी खनिज युक्त भूमि पर केंद्र सरकार और पट्टा धारकों से 1 अप्रैल 2005 से बकाया रॉयल्टी और कर वसूलने की बुधवार को अनुमति दे दी. इस खबर के बाद टाटा स्टील के शेयर में आज 5% से अधिक की गिरावट आई और यह शेयर 142.35 रुपये के इंट्रा डे लो पर पहुंच गए. वहीं, एमओआईएल लिमिटेड के शेयर में करीबन 6% की गिरावट देखी गई और यह शेयर 404.80 रुपये के इंट्रा डे लो पर पहुंच गया. NMDC लिमिटेड के शेयर में भी 6% से अधिक गिरावट देखी गई और कंपनी के शेयर 211 रुपये पर कारोबार कर रहे थे.
आपको बता दें कि 25 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि राज्यों के पास खनिज वाली भूमि पर टैक्स लगाने का अधिकार है. इससें पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्यप्रदेश और राजस्थान को फायदा होगा. 9 जजों की संविधान पीठ ने 8:1 के बहुमत से ये फैसला दिया था.
25 जुलाई को दिए गए एक फैसले में, शीर्ष अदालत ने 8:1 के बहुमत से कहा कि राज्यों को खनन या संबंधित गतिविधियों पर उपकर लगाने की शक्तियों से वंचित नहीं किया गया है.
विभिन्न राज्यों और केंद्र ने तर्क दिया था कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को वाणिज्यिक नुकसान से बचाने के लिए निर्णय सख्ती से संभावित होना चाहिए.
5 जुलाई 2024 से पहले की किसी भी तरह की टैक्स की मांग पर राज्य कोई ब्याज या जुर्माने की मांग नहीं कर पाएंगे. इससे पहले 9 जजों की पीठ ने कहा था कि राज्यों को खनिजों के लिए मिलने वाली रॉयल्टी को टैक्स नहीं माना जा सकता और खनिज युक्त ज़मीन पर अलग से टैक्स लगाना राज्यों के अधिकार के दायरे में आता है.
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