फीचर स्टोरी. छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी योजना जिसके अंतर्गत नरवा-गरवा, घुरवा-बारी संचालित है ने ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी ही बदल दी है. आज इस योजना से गांव-गांव में महिलाओं के पास रोजगार है, आर्थिक उन्नति है, मान-सम्मान है.

राज्य सरकार गौठान के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को जिस तरह से गति दी इसका सीधा फायदा आज ग्रामीणों को विशेषकर महिलाओं को हो रहा है. गौठान में काम एक तरह से महिलाओं के नाम है. स्व-सहायता समूह की महिलाओं के लिए गौठान में ढेरों गतिविधियां संचालित हैं. जहां से महिलाएं को रोजगार भी और स्व-रोजगार भी है. मतबल वह महीने के मासिक वेतन पर भी काम कर रही हैं, वहीं खुद का व्यवसाय कर उद्यमी भी बन रही हैं.

इस रिपोर्ट में बात राजनांदगांव, बिलासपुर और रायगढ़ जिले की महिला समूहों की करेंगे. प्रदेश भर में हजारों की संख्या में महिला समूह गौठान से जुड़कर काम कर रही हैं. सरकार की कोशिश भी यही है कि गांव में प्रत्येक महिलाओं के पास काम हो. हर एक व्यक्ति आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो.

राजनांदगांव जिला

राजनांदगांव जिले में सुराजी योजना विस्तार लगातार जारी है. यह योजना जिले की महिलाओं के लिए एक क्रांतिकारी योजना साबित हुई है. ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में तेजी से काम जारी है. स्व-सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं को जोड़ा जा रहा है.जिले में गौठान निर्माण एवं आजीविका संवर्धन कार्यों को विस्तार दिया जा रहा है. राजनांदगांव में 2 करोड़ 2 लाख रुपये की लागत से 26 नवीन गौठान को खोला गया है. वहीं जिले में 6 करोड़ की लागत से 207 से अधिक मुर्गी शेड की स्वीकृति प्रदान की जा रही है.

जिले से प्राप्त जानकारी के मुताबिक जनपद पंचायत छुईखदान में 3, छुरिया में 2, डोंगरगांव में 2, डोंगरगढ़ में 8, खैरागढ़ में 6, मोहला में 2 तथा राजनांदगांव जनपद पंचायत में 5 नवीन गौठान निर्माण की स्वीकृति दी गई है.

इसी तरह कुक्कुट पालन परियोजना हेतु जनपद पंचायत अंबागढ़ चौकी में 19, छुईखदान में 38, छुरिया में 22, डोंगरगांव में 11, डोंगरगढ़ में 37, खैरागढ़ में 18, मोहला में 41, मानपुर में18 तथा राजनांदगांव में 3 कुक्कुट शेड निर्माण के लिए स्वीकृति दी गई है.

वहीं शेड के निर्माण कार्य भी तेजी से जारी है. शेड निर्माण के साथ मुर्गीपालन के काम को गति दिया जाएगा.सभी ग्राम पंचायतों में शत प्रतिशत गौठान के निर्माण की दिशा में तेजी से कार्य करने के निर्देश जारी किए गए हैं. जिले के गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट निर्माण, सामुदायिक बारी, मत्स्य पालन, मुर्गीपालन, बटेरपालन, बकरीपालन, मशरूम उत्पादन, अगरबत्ती, चंदन निर्माण, पापड़, बरी, आचार सहित विभिन्न उत्पादों का निर्माण किया जा रहा है.

महिला समूह द्वारा स्थानीय स्तर पर तैयार किए गए उत्पादों की बिक्री सी-मार्ट के माध्यम से की जा रही है. शासकीय विभागों द्वारा समूह की महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पाद खरीदे जा रहे हैं. समूह की महिलाएं अपने घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर कार्य कर रही है और गौठान से प्राप्त आमदनी से अपने परिवार की मदद कर रही हैं.

बिलासपुर जिला

इसी तरह बिलासपुर जिले में गौठानों का निर्माण और संचालन जारी है. जिले से प्राप्त जानकारी के मुताबिक 201 गौठानों में 316 स्व सहायता समूह की 3 हजार 160 महिलाएं आर्थिक रूप से स्वावलम्बी हो गई है एवं अन्य महिलाओं को भी इस दिशा में प्रेरित कर रही है.

गौठानों में वर्मी खाद उत्पादन, सब्जी उत्पादन, मशरूम उत्पादन, बकरी पालन, मुर्गी पालन, बत्तख पालन, मछली पालन जैसी अन्य गतिविधियां संचालित है. स्व सहायता समूह की महिलाओं को इन गतिविधियों से जुड़कर 54 लाख 68 हजार रूपए की आमदनी हो चुकी है.ग्रामीण महिलाओं को गौठानों में संचालित आजीविका गतिविधियों से आर्थिक रूप से सशक्त होने का नया जरिया मिला है. महिलाओं को समूह के माध्यम से एक ही समय में एक से अधिक कार्य करके आर्थिक मजबूती प्राप्त करने का रास्ता गौठानों ने बखूबी दिखाया है.

जिले में गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, सामुदायिक बाड़ी, मशरूम उत्पादन, मछली पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन, गोबर दिया, गोबर गमला, अगरबत्ती, साबुन निर्माण सहित करीब 15 गतिविधियां संचालित की जा रही है. जिले में गौठानों के माध्यम से 2 लाख 18 हजार 255 क्विंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी है. 65 हजार 536 क्विंटल वर्मी खाद बनाया गया है एवं 58 हजार 338 क्विंटल वर्मी खाद की बिक्री की गई है. खाद की बिक्री से स्व सहायता समूह की महिलाओं को 1 करोड़ 52 लाख की आमदनी हो चुकी है.

रायगढ़ जिला
राजनांदगांव, बिलासपुर की तरह ही रायगढ़ जिले में सुराजी योजना से सुराज लाने का काम जारी है. रायगढ़ जिले में ग्रामीण महिलाओं को समूह के माध्यम से रोजगार देने का काम किया गया है. स्वरोजगार से भी आदिवासी महिलाओं को जोड़ा जा रहा है. कई गौठानों को ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में बदला जा रहा है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में गौठान की भूमिका अब अहम है.

रायगढ़ जिले में के ग्रामीण औद्योगिक केन्द्र हिर्री गौठान में पूर्व में केवल वर्मी कंपोस्ट का कार्य किया जाता था, लेकिन अब यहां महिला समूह को रोजगार देने के उद्देश्य से विभिन्न रोजगार मूलक गतिविधियों को शामिल किया गया. मछली पालन, मुर्गी पालन, अगरबत्ती निर्माण, साबून निर्माण जैसे विभिन्न गतिविधियां संचालित है. पशुपालन विभाग द्वारा ग्राम्यश्री स्व-सहायता समूह की चार महिला समूह को मुर्गी पालन के लिए 1156 चूजों को गोठान में बनी मुर्गी शेड में रखा गया एवं दाना खिला कर बड़ा किया गया.

समूह द्वारा इन मुर्गियों को स्थानीय बाजार में बेचा जा रहा है. इसके अलावा महिला बाल विकास विभाग द्वारा संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में मुर्गियों के अंडे की बिक्री की जा रही है. समूह की महिलाओं का कहना है कि आर्थिक रूप से अब वह आत्मनिर्भर हो रही हैं. स्थानीय बाजार में प्रतिदिन 4 दर्जन से अधिक अंडों की बिक्री हो जाती है आज तक समूह द्वारा मुर्गी एवं अंडे की विक्रय कर 91 हजार रुपये तक की अतिरिक्त आय प्राप्त कर चुके हैं.