स्टॉक मार्केट में आज एक ऐसी कंपनी की धमाकेदार एंट्री हुई, जिसने निवेशकों को चौंका दिया. कॉर्न मिलिंग बिजनेस से जुड़ी रीगल रिसोर्सेज (Regaal Resources) का शेयर इश्यू प्राइस से सीधा 39% ऊपर लिस्ट हुआ. NSE पर ये 141 रुपये और BSE पर 141.80 रुपये पर खुला, जबकि इश्यू प्राइस बैंड केवल ₹96-₹102 था. सुबह 11 बजे तक शेयर थोड़ी गिरावट के बाद भी ₹135 पर ट्रेड कर रहा था, यानी अब भी 33% ऊपर.

आखिर कौन है रीगल रिसोर्सेज?

2012 में स्थापित इस कंपनी ने 2018 से कॉमर्शियल प्रोडक्शन शुरू किया. इसकी शुरुआत महज 180 टन की क्षमता से हुई थी, जो अब बढ़कर 825 टन प्रतिदिन तक पहुंच चुकी है. कंपनी का मुख्य रॉ मटेरियल मक्का (कॉर्न) है, जिससे यह चार प्रमुख प्रोडक्ट बनाती है – कार्बोहाइड्रेट्स, स्टार्च, प्रोटीन (ग्लूटेन) और जर्म. इनका इस्तेमाल एनिमल फीड, तेल और फाइबर इंडस्ट्री में बड़े पैमाने पर होता है.

दामों के उतार-चढ़ाव का कंपनी पर कितना असर?

कंपनी का यूनिट बिहार में है और यह बंगाल बॉर्डर के करीब स्थित है. बिहार हर साल करीब 55 लाख टन मक्का पैदा करता है और बंगाल में 20 लाख टन. इस तरह कंपनी के पास 75 लाख टन से अधिक का सप्लाई बेस है. सीजनल प्राइस फ्लक्चुएशन से बचने के लिए कंपनी रबी सीजन में ही 90% स्टॉक खरीद लेती है. इसका फायदा यह होता है कि कंपनी अगले साल तक के प्रोडक्ट की कीमतों का अनुमान सटीकता से लगा सकती है.

डोमेस्टिक मार्केट ही है असली ताकत

कंपनी की 91% सेल्स घरेलू बाजार में होती है और केवल 9% एक्सपोर्ट. रीजन-वाइज देखें तो 40% माल पूर्वी भारत, करीब 25-30% उत्तरी हिस्से और बाकी गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान जैसे राज्यों में जाता है.

किसानों से मजबूत कनेक्शन

रीगल रिसोर्सेज (Regaal Resources) का सबसे बड़ा फायदा इसका सीधा किसान कनेक्ट है. कंपनी के आसपास के किसान हर साल 6 लाख टन मक्का पैदा करते हैं. इन्हें 50-110 किमी दूर की मंडियों में ले जाने की बजाय कंपनी के पास बेचना ज्यादा आसान पड़ता है.

किसानों के लिए कंपनी ने ‘किसान मैत्री प्रोग्राम’ भी शुरू किया है. इसके तहत: 6,000 टन से ज्यादा बेचने वाले किसानों को टाटा पंच कार दी गई. इस साल 8,000 टन देने वालों को हेवी ड्यूटी ट्रैक्टर मिलेगा. छोटे वॉल्यूम वाले किसानों को रॉयल एनफील्ड, वॉशिंग मशीन, सिलाई मशीन और मोबाइल फोन जैसे गिफ्ट मिलते हैं.

वैल्यू एडेड प्रोडक्ट्स की तैयारी

कंपनी अब लिक्विड ग्लूकोज, मैन्टोडेक्सट्रिन पाउडर और मॉडिफाइड स्टार्च बना रही है. अगले साल तक डेक्सट्रोहाइड्रस और मोनोहाइड्रस भी प्रोडक्शन में आएंगे, जिनका इस्तेमाल फार्मा इंडस्ट्री में होगा.

मुनाफे की रफ्तार

तीन साल पहले कंपनी का नेट प्रॉफिट सिर्फ 16 करोड़ था, जो अब बढ़कर 47 करोड़ रुपए हो गया है. शेयर की ग्रोथ रेट 36% CAGR है. कंपनी जब प्रोडक्शन डबल करेगी, तो मुनाफा भी उसी रफ्तार से बढ़ेगा.