दंतेवाड़ा. कभी बंदूक उठाने वाली दसमी कुहरामी अब इको टूरिज्म रिसॉर्ट के रिसेप्शन पर बस्तर आने वाले पर्यटकों का स्वागत करेंगी.
कभी नक्सली रहकर बंदूक उठाने वाली दसमी कुहरामी अब बस्तर आने वाले पर्यटकों का इको टूरिज़्म रिसोर्ट के रिसेप्शन पर स्वागत करेंगी. 9 साल नक्सली जीवन बिता कर आत्मसमर्पण करने वाली दसमी कुहरामी की ये कहानी नक्सली जीवन की कड़वी सच्चाई बयां करती है. दसमी को नाच गाने शौक था. इसी वजह से वे नक्सल समूह की चेतना नाट्य मंडली में शामिल हो गईं.
शुरू होने से पहले ही बिखरा सपना
शरुआत में वो नक्सल गतिविधियों की असलियत से अनजान थी. नक्सल कैंप में ही वर्गेश नाम के व्यक्ति से मुलाकात हुई. दोनों ने शादी कर साथ जीवन बिताने का फैसला किया. लेकिन दसमी का सुखी वैवाहिक जीवन का सपना शुरू होते ही बिखर गया. जिस दिन दसमी की शादी हुई, उसी दिन पति वर्गेश कटेकल्याण क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में मारा गया.
बंधन और डर का वातावरण छोड़ा
2011 में नक्सली बनी दसमी ने नौ साल बाद 2020 में आत्मसमर्पण करने का फैसला किया. दसमी ने बताया कि नक्सली रहते हुए उन्हें हमेशा छुप-छुप के रहना पड़ता था. घरवालों से मिलना नहीं हो पाता था. हर समय बंधन और डर बना रहता था. इसीलिए मैंने वो रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण किया. अब वापस अपने गांव चांदामेटा आ गई हूं. वापस घरवालों के साथ रहकर सामान्य जिंदगी शुरू की है.
मुख्यमंत्री का जताया आभार
दसमी ने कहा कि अब मुझे चित्रकोट के रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी मिली है. एक नई जिंदगी की शुरआत हुई है. दसमी ने दोबारा जीवन शुरू करने का मौका देने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आभार जताया.
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